पटना। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल के अगुवाई वाले विपक्षी दलों के महागठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है। क्योंकि गठबंधन के एक सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम पार्टी गठबंधन से बाहर निकल सकता है। अभी तक हम के नेता जीतन राम मांझी की मांगों को राजद ने नहीं माना है। ये भी कहा जा रहा है कि तेजस्वी मांझी को तवज्जो देने के पक्ष में नहीं हैं। क्योंकि मांझी तेजस्वी को राज्य में गठबंधन का सीएम चेहरा नहीं मानते हैं। वहीं चर्चा है कि मांझी की नीतीश कुमार के साथ डील हो गई है और वह जल्द ही एनडीए का हिस्सा बन महागठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

जीतनराम मांझी महागठबंधन में अपनी उपेक्षा किए जाने से राजद से नाराज हैं और इसलिए वह विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को झटका देते हुए एनडीए का दामन थामने को तैयार हैं। बिहार में नीतीश कुमार एनडीए के चेहरा हैं। फिलहाल जीतनराम मांझी की जनता दल युनाइटेड (जदयू) के मुखिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ डील तय हो गई है।

हालांकि पहले जदयू मांझी से उनकी पार्टी का जदयू में विलय कराने की मांग कर रहा था। लेकिन अब वह एनडीए का हिस्सा बनकर नीतीश कुमार को मदद पहुंचाएंगे। हालांकि मांझी की भाजपा और राज्य के अन्य घटक दलों के साथ बैठक नहीं हुई है। बताया जा रहा कि जल्द ही मांझी की भाजपा नेताओं के साथ बैठक होगी और इसके बाद उनके एनडीए में शामिल होने पर मोहर लगेगी।

असल में मांझी 2019 लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार के बाद से ही राजद को लेकर सवाल उठा रहे हैं। क्योंकि इस चुनाव के नेतृत्व महागठबंधन में राजद ने किया था। मांझी ने राज्य में लोकसभा से पहले भी समन्वय समिति बनाने की मांग की थी ताकि सभी फैसले एक साथ लिए जा सके। जबकि राज्य में राजद ही फैसले लेती है और उसका साथ कांग्रेस देती है।

मांझी का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले समन्वय समिति बनाकर सीटों का बंटवारा किया जा सके। इसके साथ मांझी महागठबंधन के नेता को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि राजद का सीएम का चेहरा महागठबंधन का चेहरा नहीं हो सकता है। जबकि राजद ने तेजस्वी यादव को अपना सीएम का फेस बनाया हुआ है। जबकि तेजस्वी और मांझी में छत्तीस का आंकड़ा है। लिहाजा मांझी तेजस्वी को महागठबंन का सीएम फेस नहीं बनने देने चाहते हैं।

 वहीं राजद ने खुलकर यह घोषणा कर दी कि चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव होंगे। यही नहीं सीटों का बंटवारा हो या कोई भी फैसला, वो राजद के अनुसार ही लिया जाएगा। जाहिर है राजद अब मांझी को फैसलों में शामिल नहीं करना चाहते हैं। फिलहाल जीतनराम मांझी के गठबंधन में बने रहने के लिए कांग्रेस के राज्य प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने राजद नेता तेजस्वी और मांझी से बातचीत कर सुलझ-समझौते की कोशिश की, लेकिन इसमें उन्हें कोई सफलता नहीं मिली।  हालांकि कांग्रेस लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए राज्य में राजद के बराबर सीटों का दावा कर रही है। 

नीतीश कुमार लोजपा का विकल्प के तौर पर देख रहे हैं मांझी को

असल में राज्य में दलित वोट काफी है और राज्य के सीएम नीतीश कुमार मांझी के जरिए दलित वोट बैंक को अपने साथ करना चाहते हैं। हालांकि अभी तक लोकजन शक्ति पार्टी एनडीए मे है। लेकिन लोजपा को देखते हुए नीतीश कुमार राज्य में मांझी को एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं। नीतीश कुमार चिराग पासवास से काफी नाखुश माने जा रहे हैं और चिराग पासवान नीतीश कुमार के कामों पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं नीतीश कुमार जीतनराम मांझी को अपने पाले में लाकर अपने पक्ष को मजबूत बनाना चाहते हैं। क्योंकि लोजपा भाजपा के साथ खड़ी है।