बहुजन समाज पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कई राज्यों में वहां के क्षेत्रीय दलों के साथ चुनावी गठबंधन कर रही हैं। हाल ही में बसपा ने उत्तर प्रदेश में सपा के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। लेकिन अब बसपा अपना चुनावी गठबंधन हरियाणा में इनेलो के साथ तोड़ने जा रही हैं। बसपा ने हरियाणा में अब अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

जींद में इंडियन नेशनल लोकदल को करारी हार मिलने के बाद बसपा ने राज्य में उसके साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने गठबंधन तोड़ दिया है। बसपा ने अब हरियाणा में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने बूते ही लड़ने का फैसला लिया है। असल में जींद में हुए उपचुनाव में इनेलो तीसरे स्थान पर पहुंच गयी है जबकि जींद को इनेलो का गढ़ माना जाता है। जींद में हार का सबसे बड़ा कारण चौटाला परिवार के बीच चली आ रही लड़ाई है। जिसके कारण इनेलो का राज्य में सबसे बड़ी हार मिली है। परिवार में चल रही खींचतान के कारण आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा।

लिहाजा बसपा ने भविष्य की आशंकाओं के कारण इनेलो के साथ चुनावी गठबंधन को तोड़ा है। हरियाणा में इण्डियन नेशनल लोकदल को लेकर चौटाला परिवार में आपसी खींचतान और टकराव तेजी से चल रहा है और इसके कारण बसपा-इनेलो गठबंधन भी प्रभावित होने से अछूता नहीं रहा। चौटाला परिवार में विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। पार्टी में टूट का फायदा सीधे तौर पर भाजपा को हो रहा है। मायावती ने लखनऊ में विभिन्न राज्यों के नेताओं की बैठक बुलाई थी और इस पर हरियाणा के राजनीतिक हालात पर गंभीरता से विचार किया गया था। नेताओं ने फीडबैक दिया कि चौटाला परिवार की आपसी खींचतान व कलह से बसपा- इनेलो गठबंधन भी प्रभावित हो रहा है।

लिहाजा मायावती ने साढ़े नौ महीने पहले हुआ इनेलो-बसपा गठबंधन तोड़ने का फैसला किया है। मायावती के इस फैसले के बाद चौटाला परिवार के एक होने पर ही समझौता आगे बढ़ सकता है। असल में सन् 1998 में भी इनेलो-बसपा में गठबंधन हुआ। लोकसभा चुनाव साथ लड़ा लेकिन कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव से पहले 1999 में गठबंधन टूट गया। पिछले साल ही इनेलो और बसपा के बीच गठबंधन हुआ है। हाल ही में जिंद में चुनाव के दौरान इनेलो-बसपा गठबंधन को महज 3454 (2.63%) वोट ही मिले जबकि 2014 में अकेले बसपा को 13225 (10.87%) वोट मिले थे।