पटना। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अब एआईएमआईएम ने मैदान में उतने की तैयारी कर ली है। इसके साथ ही एआईएमआईएम ने राज्य में समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक के साथ गठबंधन किया है।  जिसके बाद राज्य में महागठबंधन के लिए मुश्किलों में इजाफा होना तय है। माना जा रहा है कि एआईएमआईएम के कारण महागठबंधन के यादव मुस्लिम समीकरण को नुकसान पहुंचेगा।

बिहार में चुनाव की तारीख कभी भी तय हो सकती है और इसके लिए राज्य में सियासी दलों के बीच गठबंधन का  दौर शुरू हो गया है। राज्य में जहां भाजपा और जदयू मिलकर चुनाव लड़ रही है। वहीं राजद और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन विधानसभा चुनावों के लिए अब राज्य में एआईएमआईएम की एंट्री हो गई है। जो गैर महागठबंधन और गैर एनडीए अपना अलग गठबंधन बना रहा है। एआईएमआईएम की राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में एंट्री हुई थी। लेकिन पार्टी कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी। अब वहीं पार्टी राज्य के मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर फोकस कर रही है। जबकि राज्य में अब एआईएमआईएम और समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक (एसजेडीडी) के बीच गठबंधन तय हो गया है।

माना जा रहा है कि इस गठबंधन से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की अगुवाई वाले महागठबंधन को नुकसान पहुंचेगा। यूडीएसए गठबंधन देवेंद्र प्रसाद यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा। राज्य में यादव और मुस्लिम को राजद का वोट बैंक माना जाता है, ऐसे में एआईएमआईएम का गठबंधन राज्य में सीधे तौर पर महागठबंधन को ही नुकसान पहुंचाएगा। वहीं एआईएमआईएम का कहना है कि कांग्रेस महाराष्ट्र में शिवसेना की गोद में बैठी है और जबकि वह खुद को धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहती है। फिलहाल एआईएमआईएम राज्य की 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का पहले ही ऐलान कर चुकी है।