नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कर्नाटक सरकार और बृहद् बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) को निशाना बनाते हुए उन पर क्रमश: 50 करोड़ रुपये और 25 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है।
बेंगलुरू: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कर्नाटक सरकार और बृहद् बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) को निशाना बनाते हुए उन पर क्रमश: 50 करोड़ रुपये और 25 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है, इसके पीछे कारण यह है कि बेंगलुरु अपनी झीलों की सुरक्षित रखने में विफल रहा है साथ ही तूफान जल निकासी
का भी प्रबंधन नहीं कर पाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एनजीटी के आदेशानुसार कर्नाटक सरकार को 50 करोड़ रुपये और बीबीएमपी पर 25 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को जमा करनी होगी, इस राशि में से 10 करोड़ रुपये का भुगतान कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को किया जायेगा।
This is a landmark judgement in fight to #SaveBengaluru from a group of vultures exploitatng #Namma #Bengaluru.
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@rajeev_mp) December 6, 2018
NGT spoke tdy n held the Govt of #Karnataka negligent. Laws hv been violated n criminal prosectn awaits those who hv.
Well done @Namma_Bengaluru @poovayya 🙏🏻🙏🏻💐 https://t.co/9wiMmntyeO
इसके अलावा, कर्नाटक सरकार को प्रदूषण के जल निकायों को साफ़ करने के लिए कार्य योजना बनाने हेतु एक खाते में 500 करोड़ रूपये जमा करने के लिए भी कहा गया है।
अगर कर्नाटक सरकार इस योजना में विफल होती है तो इस मामले में सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा।
एनजीटी ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। एनजीटी द्वारा कई बार दी गई अनेक चेतावनियों के बाद भी राज्य के साथ-साथ बीबीएमपी की ओर से भी कोई कार्यवाही नहीं की गई, वह झीलों को स्वच्छ बनाए रखने के अपने कर्तव्य पर पूरी तरह विफल रहे है।
संसद सदस्य, राजीव चंद्रशेखर ने एनजीटी के फैसले का स्वागत किया है। राजीव चंद्रशेखर ने बेंगलुरु में झीलों की स्वच्छता के लिए प्रचार-प्रसार से जुड़े रहे है और उनके लिए लड़ाइया भी लड़ी है।
नाममा बेंगलुरु फाउंडेशन (एनबीएफ) ने, जो इस मामले के साथ बारीकी से जुड़ा रहा है उन्होंने भी अदालत के इस फ़ैसले को सही मानते हुए उसका स्वागत किया है।
2016 में, सिद्धाराय्याह सरकार ने शहर में जल निकायों की सुरक्षा हेतु एक कार्य योजना बनाने के लिए समिति गठित की थी उसमें एनबीएफ भी इस समिति का हिस्सा रही थी। समिति ने कई बार राज्य सरकार से मुलाकात कर उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। एनबीएफ के सूत्रों का कहना है कि जब तक एनबीएफ समेत अन्य सभी समिति सदस्यों ने बीडीए को ठोस कदम उठाने ले लिए दबाव नहीं बनाया तब तक बीडीए ने ना कभी इस रिपोर्ट को स्वीकार किया और ना ही अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया।
समिति की रिपोर्ट ने बेल्लान्दुर झील के कायाकल्प के लिए विभिन्न अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों का सुझाव दिया था। आज तक, बीडीए ने इन समितियों की कोई भी योजना को लागू करने के विषय में अपनी प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है।
21 फरवरी, 2017 को बेल्लान्दुर झील में झाग आने के बाद यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई थी। एनजीटी खंडपीठ (दिल्ली) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर किया और इस घटना के तुरंत बाद ही एनबीएफ ने घटना पर प्रतिक्रिया करते हुए कदम उठाए।
Last Updated Dec 7, 2018, 4:27 PM IST