नई दिल्ली। आर्थिक तौर पर कंगाल हो चुके पाकिस्तान ने पिछले महीने बीजिंग में एफएटीएफ की बैठक में दावा किया था कि वह अपने देश में मौजूद आतंकी संगठन को जेल में डाल रहा है। लेकिन  तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पूर्व प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान के भागने पर इमरान खान सरकार अब कठघरे में है। क्योंकि एहसान को नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई और पेशावर आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

इमरान खान सरकार की 16 फरवरी को चीन, तुर्की और मलेशिया के साथ अहम बैठक होने जा रही है और वह एफएटीएफ ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है। लेकिन एहसान के पाकिस्तान सेना की हिरासत से फरार होने के बाद पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि चीन पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए मदद कर रहा है। लेकिन अब पाकिस्तान के लिए खुद को पाक साबित करना आसान नहीं है।  एहसान तहरीक-ए-तालिबान का पूर्व प्रवक्ता था और वह मलाला यूसुफजई और पेशावर आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तानी सेना के हिरासत में था। 

गौरतबल है कि आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने जून 2018 में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में रखा था। इसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अक्टूबर 2019 तक की मोहलत दी थी और इसे अब 19 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है।  हालांकि अभी एफएटीएफ ने ईरान और उत्तर कोरिया को ब्लैक लिस्ट में रखा है। हालांकि एहसान के फरार होने पर इमरान खान की मुश्किलें पाकिस्तान में  भी कम नहीं हो रही हैं। क्योंकि विपक्षी दल देश के सबसे खूंखार आतंकवादियों में से एहसानुल्लाह के भागने के लिए इमरान सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं।