पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज यानी मंगलवार के दिन दोपहर बाद दिल्ली के लिए रवाना हुए। वह यहां एनडीए के घटक दलों की बैठक में हिस्सा लेंगे। यह बैठक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुलवाई है। 

नीतीश कुमार ने दिल्ली रवाना होने से पहले पटना में पत्रकारों को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने साफ तौर पर बीजेपी खेमें के साथ अपनी एकजुटता दर्शाई। 

नीतीश ने साफ तौर पर कहा कि ‘ईवीएम पर सवाल वही लोग उठाते हैं, जिन्हें हार का डर होता है। पहले भी कई बार ईवीएम को लेकर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं, यह नया मामला नहीं है’।

बिहार के इंजीनियर मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘ईवीएम के आने के बाद चुनाव में पारदर्शिता आई है। यह एक ऐसी तकनीक है जिस पर पहले भी कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं और चुनाव आयोग इन सभी सवालों का जवाब दे चुका है। जो गुट चुनाव हार रहा है वे ही इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में विसंगति का सवाल उठा रहे हैं। यह नया मामला नहीं है।’

ईवीएम को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री का यह बयान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि नीतीश कुमार खुद इंजीनियर हैं और उन्हें तकनीक की अच्छी समझ है। 

ईवीएम के मुद्दे के अलावा नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष दर्जा दिए जाने और धारा 370 को लेकर अपनी पार्टी का स्टैण्ड स्पष्ट किया। 

उन्होंने कहा कि ‘2006 से हम बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। राम मंदिर और धारा 370 पर हम पहले भी अपनी बात रख चुके हैं। इसको लेकर भाजपा के साथ हमारा कोई विरोधाभास नहीं है’।

इन विवादास्पद मुद्दों पर नीतीश का कहना था कि ‘धारा 370 को लेकर भारतीय जनता पार्टी का स्टैंड नया नहीं है। भाजपा का जम्मू-कश्मीर की धारा 370 को लेकर एक पार्टी के तहत अपना अलग विचार है, लेकिन जब गठबंधन की बात आती है तो इन सब बातों को लेकर विचार होता है। इसलिए इसे लेकर कोई समस्या नहीं है’।

नीतीश ने आगे कहा कि धारा 370 को हटाने और कॉमन सिविल कोड थोपने की बात नहीं होनी चाहिए। अयोध्या मसले का समाधान आपसी सहमति या कोर्ट के फैसले से होना चाहिए।

कुल मिलाकर नीतीश के लहजे से यह साफ लग रहा था कि वह पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार की नीतियों से सहमत हैं। नीतीश कुमार के इस रुख को देखकर लगता है कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू का यह गठबंधन अभी लंबी राहें तय करेगा।