नई दिल्ली। पाकिस्तान एक बार फिर झोली लेकर अमेरिका के पास पहुंच गया है। इमरान खान ने खुद को ग्रे लिस्ट से बचाने से लेकर कश्मीर मामले में अमेरिका की मदद मांगी। हालांकि फौरी तौर पर उसे कोई राहत नहीं मिली है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर पर मध्यस्थता की बात की है। स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्रंप ने मदद से गुहार लगाई है।

आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुके पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अमेरिका से पाकिस्तान को कंगाल होने से बचाने की गुहार लगाई है। क्योंकि अगले महीने एफएटीएफ की बैठक होने वाली है। जिसमें पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में किया जा सकता है। हालांकि पिछली बैठक में पाकिस्तान को उसके दोस्त चीन और  तुर्की ने बचा लिया था। लेकिन इस बार इन दोनों देशों के लिए भी संभव नहीं होगा कि वह पाकिस्तान को एफएटीएफ के फैसले से बचा सके।

हालांकि पिछली बैठक में ये तय हुआ था कि पाकिस्तान को कुछ महीनों का और समय दे दिया जाए, जिसके बाद पाकिस्तान को इस साल फरवरी तक का समय दिया गया है। एफएटीएफ ने पिछली बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा था। वहीं पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे पर अमेरिका से गुहार लगाई है। क्योंकि अभी तक विश्व में पाकिस्तान अलग-थलग पड़ चुका है। पाकिस्तान ने अमेरिका से पाकिस्तान को लेकर बातचीत की। पाक पीएम इमरान खान और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बैठक के बाद ट्रंप ने मीडिया से कहा कि दोनों ने कश्मीर सहित कई मसले पर चर्चा की।

उन्होंने कहा हम इसमें मदद कर सके, तो जरूर करेंगे। जाहिर है कि फौरी दौर पर ट्रंप ने पाकिस्तान को झटका दिया है। हालांकि ट्रंप ने पिछली बार कहा था कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। उधर मीडिया ने जब ट्रंप की भारत की यात्रा पर सवाल करते हुए पूछा कि क्या वह पाकिस्तान भी जाएंगे तो ट्रंप ने कहा कि वह दोनों देशों को हैलो करना चाहते हैं। क्योंकि दोनों देश के साथ हमारे काफी पुराने और गहरे संबंध हैं।

पहले ही ट्रंप दे चुके हैं बयान, पर भारत की ना

गौरतलब कि पिछले साल संयुक्त राष्ट्र में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि वह पाकिस्तान और भारत के बीच दशकों से चले आ रहे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कर सकते हैं। क्योंकि दोनों देशों ने मदद मांगी है और हम इसके लिए तैयार हैं। ट्रंप ने कहा था कि कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों से लगातार संपर्क में हैं  और अमेरिकी प्रशासन इस मुद्दे पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।