एनसीपी प्रमुख पवार ने कहा कि इस कानून को लागू करने से देश में धार्मिक एवं सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है। उन्होंने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह देश के मौजूदा गंभीर मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सीएएस और एनआरसी को लागू करने की बात कर रही है। पवार ने कहा कि देश के आठ अन्य राज्यों की ही तरह महाराष्ट्र में भी सरकार को इसे लागू नहीं करने का ऐलान करना चाहिए।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना की अगुवाई वाली गठबंधन की सरकार में कांग्रेस के बाद एनसीपी ने भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना सरकार पर राज्य में सीएए नहीं लागू करने के लिए दबाव बनाया है और इसके लिए साफ तौर पर ऐलान करने को कहा है। हालांकि अभी तक शिवसेना सरकार ने इस बारे में खुलकर ऐलान नहीं किया है।
एनसीपी प्रमुख पवार ने कहा कि इस कानून को लागू करने से देश में धार्मिक एवं सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है। उन्होंने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह देश के मौजूदा गंभीर मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सीएएस और एनआरसी को लागू करने की बात कर रही है। पवार ने कहा कि देश के आठ अन्य राज्यों की ही तरह महाराष्ट्र में भी सरकार को इसे लागू नहीं करने का ऐलान करना चाहिए। पवार ने कहा कि केन्द्र सरकार इस कानून की आड़ में उन राज्यों को बर्खास्त कर सकती है, जो राज्य इसे लागू नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एनसीपी शिवसेना गठबंधन सरकार की सहयोगी है और वह मांग करते हैं कि सरकार को इस कानून को राज्य में लागू नहीं करना चाहिए। पवार ने कहा कि एनडीए के सहयोगी भी इस कानून को नहीं लागू करने का ऐलान कर चुके हैं और इसमें बिहार भी शामिल है। लिहाजा महाराष्ट्र सरकार को भी इस पर ठोस फैसला लेना चाहिए। पवार ने कहा कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी लेकिन श्रीलंका के तमिलों को इस कानून से बाहर रखा गया है, जो उचित नहीं है।
गौरतलब है कि शिवसेना प्रमुख और राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे पहले ही कह चुके हैं कि वह राज्य में इस कानून को लागू नहीं करेंगे। लेकिन उन्होंने सरकारी तौर पर इसका आदेश नहीं दिया है। लिहाजा पहले कांग्रेस और एनसीपी प्रमुख ने सरकार पर इसके लिए दबाव बनाया है।
Last Updated Dec 22, 2019, 12:34 PM IST