नई दिल्ली। पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने को लेकर फ्रांस ने कड़ा रूख अपनाया है। क्योंकि चीन पाकिस्तान को बचाकर उसे एफएटीएफ की  ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए तरह तरह की चाल रहा है। लेकिन फ्रांस ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी। क्योंकि आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान को कई बार मौके दिए जा चुके हैं। लेकिन अब  किसी भी कीमत पर उसे बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि बीजिंग में हुई एफएटीएफ की एपीजी ग्रुप की बैठक में चीन ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने की कोशिश की थी और कहा था कि पाकिस्तान में आतंक के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है।

बीजिंग में 23 फरवरी को ही एफएटीएफ की एशिया पैसिफिक ग्रुप की बैठक हुई है। जिसकी अध्यक्षता इस बार चीन ने की है। इस बैठक में पाकिस्तान ने उसे आतंक के खिलाफ एक्शन लेने के लिए दिए गए समय को बढ़ाने की मांग की। पाकिस्तान ने तर्क दिए थे कि वह देश में मौजूद आतंकी कैंपों को बंद करा रहा है और आतंकियों को खत्म कर रहा है। यही नहीं आतंक फैलाने वाले मदरसों को सरकारी स्कूलों में तब्दील कर रहा है। इसके साथ ही आतंकी संगठनों के मुखियाओं को जेल में डाल रहा है।

हालांकि पाकिस्तान के इस तरह के तर्क पहले भी दे चुका है। एपीजी ने पिछले साल ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में कर दिया था। हालांकि पेरिस में हुई बैठक में पाकिस्तान चीन और तुर्की की मदद  से ग्रे लिस्ट में ही बना रहा। जबकि एपीजी ग्रुप ने उसे ब्लैक लिस्ट में रखने की सिफारिश की थी। लेकिन इस बार बीजिंग में चीन ने पाकिस्तान को फिर से बचाने की कोशिश की है। हालांकि अभी ये साफ नहीं हुई है कि एपीजी ने क्या इस बार पाकिस्तान को फिर से ब्लैक लिस्ट में रखा है या फिर वह ग्रे लिस्ट में ही है। 

लेकिन चीन की तमाम कोशिशों के बाद भी पाकिस्तान को राहत मिलने की उम्मीद कम ही है। क्योंकि पेरिस में अगले महीने एफएटीएफ की अहम बैठक होने जा रही है। लेकिन इस बैठक में फ्रांस पाकिस्तान को किसी भी तरह की रियायत नहीं देने के पक्ष में है। एफएटीएफ की बैठक में फ्रांस एक अहम सदस्य है। उसने साफ कर दिया है कि वह आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई का मूल्यांकन करेगा। उसके बाद ही कोई  फैसला करेगा। लिहाजा फ्रांस के कड़े रूख के कारण इस बार ड्रैगन भी चाल नहीं चल सकेगा।

फिलहाल एफएटीएफ की एशिया-प्रशांत समूह यानी एपीजी तकनीकी दृष्टिकोण से पाकिस्तान का विश्लेषण कर रही है और अगले महीने वह अपनी रिपोर्ट एफएटीएफ को देगी। गौरतलब है कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने पिछले दिनों दावोस में जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति से उसे ब्लैकलिस्ट होने से बचाने की अपील की थी। वहीं बीजिंग में पाकिस्तान के आका चीन ने भी भी उसे बचाने के लिए कई दलीलें पेश की हैं।