संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज न्यूयॉर्क पहुंच चुकी हैं। वह 29 सितंबर को वैश्विक नेताओं को संबोधित करेंगी। इस सत्रं में भारत के लिए शीर्ष प्राथमिकताओं में बेहतर बहुपक्षीय संबंध, जलवायु कार्य योजना, सतत विकास, शांति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे। 

वहीं पाकिस्तान के लिए शीर्ष प्राथमिकताओं में कश्मीर का मुद्दा होगा। ऐसी उम्मीद है कि पाकिस्तान इस मंच का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए करेगा। इस पर भारत का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र

महासभा एक वैश्विक मंच है और इसका इस्तेमाल वैश्विक मुद्दों को उठाने के लिए है, ऐसे में पाकिस्तान की ओर से लगातार इस मंच से कश्मीर का मुद्दा उठाते रहने से उसे कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तान का भारत के प्रति दुराग्रह पूरी दूनिया के सामने उजागर हो चुका है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैय्यद अकबरूद्दीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा वैश्विक मुद्दों को उठाने का वैश्विक मंच है। हालांकि, अपने हितों को देखते हुए प्रत्येक देश अपने तरीके से इस मंच का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं। 

अकबरूद्दीन ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ' अगर कोई देश एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना चाहता है तो यह उन पर है कि वह लगातार इस तरह की चीजों को बार-बार उठाते रहें। हमने इस तरह की स्थिति का सामना पूर्व में भी डट कर किया है और हम आश्वस्त हैं कि ऐसा हम दोबारा भी करेंगे।' 

 

 

उन्होंने कहा कि भारत साझेदारी में काम करता है और भारत को इस बात का गर्व है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसकी प्राथमिकताएं अंतरराष्ट्रीय समुदाय में प्रतिध्वनित होती हैं। 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके पाकिस्तानी समकक्ष के बीच बैठक के आग्रह को भारत ने स्वीकार कर लिया था लेकिन भारत ने अब इस बैठक को रद्द कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की बर्बर तरीके से की गई हत्या और इस्लामाबाद द्वारा आतंकवादी बुरहान वानी के नाम पर डाक टिकट जारी करने के बाद यह बैठक रद्द की गई।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खान ने भारत के इस कदम पर ट्वीट करते हुए कहा कि वह भारत के 'नकारात्मक और अहंकारी' रवैये से निराश हैं। जब खान के इस ट्वीट के बारे में अकबरूद्दीन से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'आपने जो मुद्दा उठाया है, वह हमारे द्विपक्षीय मुद्दे से जुड़ा हुआ है और उसका निपटारा उसी तरह से किया जाएगा जिस तरह से हम निपटारे की इच्छा रखते हैं।'