पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। दोनों एक-दूसरे को काफी सम्मान देते हैं। पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड जनादेश हासिल करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस दौरान प्रणब मुखर्जी ने अपने हाथ से मिठाई खिलाकर पीएम मोदी को ऐतिहासिक जीत की बधाई दी। पीएम मोदी ने इस मुलाकात के फोटो ट्वीट किए हैं।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, 'प्रणब दा मिलना हमेशा अनुभव में इजाफा करता है। उनका ज्ञान और समझ की बराबरी नहीं की जा सकती। वह ऐसे ऐसे स्टेट्समैन रहे हैं जिन्होंने हमारे देश के लिए ऐसे योगदान दिया है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता।

आज उनसे मुलाकात कर आशीर्वाद लिया।' 

इस साल की शुरुआत में मोदी सरकार ने प्रणब मुखर्जी समेत तीन शख्सियतों को भारत रत्न देने का ऐलान किया था। इस ऐलान के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि प्रणब दा हमारे समय के एक शानदार नेता हैं। उन्‍होंने निस्‍वार्थ और बिना थके दशकों तक देश की सेवा की है इसने देश की विकास की दशा पर एक मजबूत निशान छोड़ा है। उनके जैसा बुद्धिमान और बुद्धिजीवी काफी कम लोग है। मुझे खुशी है कि उन्‍हें भारत रत्‍न दिया जाएगा।

इससे पहले, साल 2018 जून में प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी। आरएसएस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर अपने विचार रखे थे। प्रणब मुखर्जी के आरएसएस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर काफी विवाद हुआ था। उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भी इससे काफी नाखुश थीं। प्रणब मुखर्जी के फैसले के बाद कांग्रेस के एक धड़े ने विरोध विरोध किया था।  

वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले ईवीएम पर हो रहे विवाद के दौरान भी प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग का पक्ष लिया था। उन्होंने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, चुनाव आयोग ने 2019 का लोकसभा चुनाव शानदार तरीके से संपन्न कराया। देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन के समय से लेकर मौजूदा चुनाव आयुक्तों तक संस्थान ने बहुत अच्छे से काम किया है।

प्रणब मुखर्जी देश  2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे। इससे पहले वे कई दशकों तक कांग्रेस के मजबूत स्‍तंभ रहे। उन्होंने इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक के साथ कार्य किया और उसके बाद उन्होंने यूपीए की दोनों सरकारों में अहम पद संभाले। मुखर्जी अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। कांग्रेस ने उन्हें संघ के कार्यक्रम में जाने से मना किया था, लेकिन मुखर्जी ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।