भाजपा में प्रधानमंत्री अकसर चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाने जाते हैं. लेकिन इन फैसलों में कोई न कोई नेता तो उनका राजदार रहता होगा. अभी तक मोदी कई ऐसे चौंकाने वाले फैसले ले चुके. हालांकि कुछ लोगों को इन फैसलों की जानकारी होती हो. लेकिन दो दिन पहले सवर्ण आरक्षण पर लिए गए फैसले को देखकर तो ऐसा लगता है कि आरक्षण पर लिए गए इस सीक्रेट प्लान की खबर पीएम मोदी ने अपने करीबियों तक को नहीं दी थी. जिसके कारण ये खबर पहले से ही मीडिया सुर्खियां नहीं बन सकीं.

मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले के बाद एक बार फिर पूरे विपक्ष समेत देश को चौंका दिया. तीनों राज्यों के  विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा को लगने लगा था कि बगैर उच्च जातियों के उसके सत्ता में आना मुश्किल है. क्योंकि तीन राज्यों के चुनाव में उच्च वर्ग के लोगों ने भाजपा के अलावा नोटा का बटन दबाया. जिसके कारण राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा. भाजपा ने पिछले साल एसटीएसटी एक्ट के बाद एक आंतरिक सर्वेक्षण कराया था,

जिसके बाद ये बात सामने आयी कि अगर सवर्ण वोटरों को खुश नहीं किया गया तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि इस रिपोर्ट पर भाजपा ने तीन राज्यों के चुनाव में ज्यादा गौर नहीं किया. क्योंकि पार्टी इस प्रयोग कर इसकी सच्चाई को परखना चाहती थी. असल में संविधान में संशोधन वाले विधेयक के प्रस्ताव को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने महज केवल एक दिन में तैयार किया था और इसक जानकारी किसी भी मंत्री को नहीं दी गयी थी. जबकि कुछ खासनौकरशाहों को ये जिम्मा सौंपा गया था.

इस प्रस्ताव के मिल जाने के बाद तुरंत इसे कैबिनेट में रखा गया. जिसकी भनक मोदी के कैबिनेट मंत्रियों तक को नहीं थी. इस प्रस्ताव के पीछे भाजपा का तर्क था कि आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों के लिए आरक्षण के प्रस्ताव पर सिन्हो कमेटी के 2010 में अपनी रिपोर्ट दी थी. हालांकि इसे यूपीए सरकार ने लागू नहीं किया. लेकिन भाजपा ने इसके तहत नया प्रस्ताव बनाकर कांग्रेस के साथ ही विपक्षी दलों को सकते में रख दिया.