प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिश्केक दौरे के लिए अपना एयरस्पेस खोलने का दांव भी पाकिस्तान के काम नहीं आया। भारत ने साफ कर दिया है कि पीएम मोदी किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक जाने के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेंगे। वह ओमान, ईरान और मध्य एशिया होते हुए बिशकेक जाएंगे। दरअसल, पाकिस्तान यह उम्मीद कर रहा था कि ऐसा करने से भारत शांति वार्ता करने की उसकी पेशकश स्वीकार कर लेगा। 

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता की ओर से कहा गया है कि 'सरकार ने बिशकेक जाने के लिए वीवीआईपी एयरक्राफ्ट के रूट के लिए दो विकल्‍पों को तलाशा था। अब फैसला लिया गया है कि वीवीआईपी एयरक्राफ्ट ओमान, ईरान और मध्‍य एशियाई देशों के रास्‍ते बिशकेक जाएगा।'

पाकिस्तान ने पीएम मोदी के विमान को अपने वायु क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नई दिल्ली में शीर्ष स्तर पर हुई बैठक के बाद भारत ने पाकिस्तानी वायु क्षेत्र का इस्तेमाल न करने का फैसला किया है। यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है। भारत पहले ही उसकी बातचीत की पेशकश को ठुकरा चुका है। भारत का दो टूक कहना है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद पर पूरी तरह रोक नहीं लगाता तब तक उसके साथ बातचीत नहीं हो सकती।

पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने बिश्केक जा रहे हैं। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान भी एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। हालांकि भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि पीएम मोदी की इमरान खान के साथ कोई द्विपक्षीय मुलाकात नहीं होगी। 

पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर पर हवाई हमले किए थे। इसके बाद पाकिस्तान ने 26 फरवरी को अपना हवाई क्षेत्र पूरी तरह से बंद कर दिया था। उसके बाद से पाकिस्तान ने 11 में से सिर्फ दो रास्ते खोल रखे हैं, जो दक्षिण पाकिस्तान के ऊपर से होकर गुजरते हैं। बाकी के 11 रूट पंजाब और सिंध की सीमाओं में पड़ते हैं, जिन्हें अभी नहीं खोला गया। इन्हें खोलने पर 14 जून को समीक्षा होगी। 

अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आखिर भारत सरकार ने यह फैसला क्‍यों लिया। इससे पहले 21 मई को पाकिस्तान ने भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विमान को अपनी हवाई सीमा से उड़ान भरने की अनुमति दी थी। सुषमा स्वराज को किर्गिस्तान में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने जाना था। (इनपुट एजेंसी से भी)