हालांकि ओली इस समझौते के तहत पार्टी में कमजोर होंगे। ओली लगातार भारत के खिलाफ बयान दे रहे हैं और चीन के साथ अपने रिश्तों को सुधार रहे हैं। वहीं चीन भी नेपाल के आंतरिक मामलों में लगातार दखल दे रहा है।
नई दिल्ली। नेपाल जारी सियासी संकट फिलहाल खत्म होने की स्थिति में है। नेपाल में सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में कई दिलों से चली आ रही प्रभुत्व की लड़ाई के थमने के आसार बनने लगे हैं। इससे तहत अब नेपाल में सत्ताधारी पार्टी की कमान पूरी तरह से नेपाल के पीएम के धुरविरोधी पुष्प दहल कमल के हाथ में आ जाएगी। इससे नेपाल के पीएम केपी शर्मा पार्टी में कमजोर होंगे। नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष का पद छोड़ना होगा।
जानकारी के मुताबिक पुष्प कमल दहल प्रचंड की मतभेदों का हल निकालने के लिए नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के साथ मुलाकात हुई। इस मुलाकात में ओली ने पार्टी का पूरा नियंत्रण प्रचंड के हाथों में सौंपने को लेकर सहमति जता दी। वहीं इसके बदले ओली का प्रधानमंत्री पद बरकरार रहेगा। हालांकि ओली इस समझौते के तहत पार्टी में कमजोर होंगे। ओली लगातार भारत के खिलाफ बयान दे रहे हैं और चीन के साथ अपने रिश्तों को सुधार रहे हैं। वहीं चीन भी नेपाल के आंतरिक मामलों में लगातार दखल दे रहा है। जिसका पार्टी के नेता विरोध कर रहे हैं।
फिलहाल भारत विरोधी बयान लगातार देकर ओली चीन का साध रहे हैं। या फिर ये भी कहा जा सकता है कि ओली चीन के इशारे पर भारत के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वहीं बताया जा रहा है कि प्रचंड और ओली के बीच मुद्दे पर दोनों पक्ष आपस में समझौता करने के करीब पहुंच गए हैं। दोनों नेताओं आज एक बार फिर बैठक होने की संभावना है। वहीं ओली ने कहा था कि पार्टी का आंतरिक संकट पांच दिन के अंदर सुलझ जाएगा।
चीनी राजदूत के साथ ओली की करीबी की हो रही है आलोचना
वहीं देश की सत्ताधारी पार्टी एनसीपी में देश के पीएम केपी शर्मा ओली और चीन की राजदूत हाऊ यांकी के रिश्तों को लेकर भी आलोचना की जा रही है। पार्टी में ये कहा जा रहा है कि ओली यांकी के इशारे पर काम कर रहे हैं और भारत के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वहीं यांकी भी ओली की सरपस्ती में पार्टी के आंतरिक मामलों में दखल दे रही है।
Last Updated Aug 14, 2020, 8:43 AM IST