बंगाल के मिदनापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान टेंट गिरने के हादसे की जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें राज्य की ममता बनर्जी सरकार को लापरवाही बरतने का जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम की सुरक्षा में कई खामियां थीं। रैली स्थल के पांच किलोमीटर के दायरे में पुलिस का  बंदोबस्त पर्याप्त नहीं किया गया था। मिदनापुर के जिलाधिकारी भी वहां नहीं थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी रैली स्थल पर नहीं दिखे। रैली के आयोजकों एवं स्थानीय प्रशासन में तालमेल की कमी थी। पीएम की सुरक्षा की अग्रिम पड़ताल करने वाली एसपीजी टीम को भी पूरा सहयोग नहीं किया गया। 16 जुलाई को हुए इस हादसे में 50 महिलाओं समेत 90 लोग घायल हो गए थे। 

दरअसल, केंद्रीय टीम यह पता लगाने का प्रयास कर रही थी कि पीएम की मिदनापुर रैली के दौरान टेंट कैसे गिरा। जांच दल ने यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी है। एक अधिकारी के अनुसार, जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री का अंदरूनी सुरक्षा घेरा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का होता है। वहीं घेरे की सुरक्षा का जिम्मा राज्य सरकार पर होता है। लेकिन इस मामले में स्थानीय अधिकारियों ने अपना काम नहीं किया। यही नहीं पीएम के दौरे से दो हफ्ते पहले रैली स्थल का दौरा करने वाली अग्रिम सुरक्षा जांच दल को भी उचित सहायता नहीं दी गई। 

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने टीम के निष्कर्षों को खारिज कर दिया। उनका कहना था कि उन्होंने मोदी की रैली के लिए 1,000 कर्मियों को नियुक्त किया था और अग्रिम सुरक्षा दल को सभी सहयोग की पेशकश की गई थी।

दरअसल, तेज बारिश के चलते रैली स्थल पर लगा एक टेंट भर-भराकर गिर पड़ा। आनन-फानन में सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने हादसे में घायल होने वाले लोगों का अस्पताल जाकर हालचाल जाना था। घायलों में 50 महिलाएं थीं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, रैली स्थल के मुख्य प्रवेश के निकट यह पंडाल खड़ा किया गया था ताकि बारिश से बचने के लिए लोग इसमें शरण ले सकें। रैली के दौरान कई कार्यकर्ता पंडाल के अंदर जमा हो गए। प्रधानमंत्री जब भाषण दे रहे थ, उसी दौरान तंबू ढह गया। उन्होंने पास खड़े एसपीजी कर्मियों को तत्काल लोगों को देखने और घायलों की मदद करने का निर्देश दिया।