केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों में भ्रष्टाचार की जांच करने वाले केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सबसे ज्यादा शिकायतें रेल मंत्रालय और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मिली हैं।

सीवीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अगस्त तक रेलवे उन विभागों और मंत्रालयों की सूची में शीर्ष पर है, जिसके अधिकारियों के भ्रष्टाचार की जांच सीवीसी द्वारा की जा रही है। 

आयोग के अनुसार, अगस्त तक सीवीसी ने भ्रष्टाचार की कुल 28 शिकायतों को रेल मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) को जांच के लिए भेजा है। ये अगस्त तक दूसरे विभागों एवं मंत्रालयों में चल रही कुल जांचों का 15% ज्यादा है। रेलवे के बाद भ्रष्टाचार के सबसे अधिक मामले केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड से हैं। यहां से पिछले आठ महीने में भ्रष्टाचार की कुल 14 शिकायतें जांच के लिए आगे बढ़ाई गई हैं। 

ऐसा पहली बार नहीं है, जब रेलवे भ्रष्टाचार के मामलों में पहले पायदान पर है। सीवीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल सभी मंत्रालयों और विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे ज्यादा कार्रवाई रेलवे के अधिकारियों पर हुई। कई पर प्रशासनिक कार्रवाई भी की गई। सीवीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 'जिन विभागों में सबसे ज्यादा कार्रवाई की गई उनमें रेल मंत्रालय (471), केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (175), भारतीय स्टेट बैंक (172), टेलीकॉम विभाग (142), सिंडीकेट बैंक (102), इंडियन ओवरसीज बैंक (95), पंजाब नेशनल बैंक (60), देना बैंक और सेंट्रल बैंक (53), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (50) शामिल हैं।'

रेलवे और सीबीईसी के अलावा बैंकों पर भी गाज गिरनी तय है। जिन बैंकों के अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उनमें बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक और आंध्र बैंक समेत कई बैंक हैं।

आयोग के अनुसार, पिछले साल 2721 बैंक अधिकारियों को भ्रष्टाचार के लिए दंडित किया जा चुका है। इनमें से 570 को या तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया या सेवा से जबरन रिटायरमेंट दे दिया गया। सीवीसी केंद्र सरकार के तहत आने वाले मंत्रालयों एवं विभागों की निगरानी का काम करने वाली संस्था है।