नई दिल्ली। इस महीने होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि सीटों की तुलना में दावेदार ज्यादा है। एक सीट के लिए कई नेता दावे कर रहे हैं। लिहाजा पार्टी को आने वाले दिनों में बगावत का सामना करना पड़ सकता है। राज्यसभा में आगामी 26 मार्च को 17 राज्यों की 55 सीटें खाली हो रही है। इन सीटों में कांग्रेस के खाते में आसानी से 9 सीटें आ सकती हैं।  लेकिन पार्टी के सामने सबसे ज्यादा मुश्किल मध्य प्रदेश को लेकर है जहां दो सीटों के लिए कई नेता दावे कर रहे हैं।

इस महीने खाली हो रही सीटों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से दो-दो और महाराष्ट्र , गुजरात एवं हरियाणा से एक-एक सीटें हैं। हालांकि प्रत्याशियों के लिए अंतिम फैसला सोनिया गांधी और उनकी टीम करेगी। आगामी 26 मार्च को 17 राज्यों की 55 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से दो-दो और महाराष्ट्र , गुजरात एवं हरियाणा से एक-एक सीटें खाली हो रही है। इसके लिए छह मार्च को अधिसूचना जारी होगी और 13 मार्च को नामांकन होगा।

इसके बाद 16 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच के बाद 18 मार्च को नाम वापस लेने की अंतिम तिथि होगी। लेकिन इन चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। क्योंकि कांग्रेस में दावेदारों की सूची काफी लंबी है। जो वरिष्ठ नेता सालों से सक्रिय राजनीती से दूर हैं वह भी दावे कर रहे हैं। उनका कहना है वह पार्टी के वफादार हैं और उन्होंने पार्टी की सेवा की है। लिहाजा उन्हें राज्यसभा में भेजा जाना चाहिए। लेकिन इस बीच कई युवा नेता भी राज्यसभा चुनाव में उतरना चाहते हैं।

लिहाजा पार्टी क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर राज्यसभा में अपनी सीटों को बढ़ाना चाहता है। इसके लिए पार्टी असम में एआईयूडीएफ और असम गण परिषद का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा तो पश्चिम बंगाल में वाम दलों या तृणमूल कांग्रेस का साथ गठबंधन बनाने की जुगत में है। ऐसा कर पार्टी राज्यसभा में दो अतिरिक्त सीटों को जीत सकता है। वहीं मध्य प्रदेश की दो सीटों में दावेदार काफी है। राज्य से दिग्विजय, मोतीलाल और मधुसुदन मिस्त्री दावेदार माने जा रहे हैं।

वहीं एक धड़ा प्रियंका गांधी को भी राज्यसभा में भेजे जाने के पक्ष में है। इसके साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल, ओमन चांडी, हरीश रावत, तरुण गोगोई, लुइजिन्हों फ्लेरियो, अविनाश पांडे और दीपक बाबरिया भी इन सीटों के लिए दावेदार हैं। यही नहीं मध्य प्रदेश में दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बागी बने हुए हैं और वह राज्यसभा की दावेदारी कर रहे हैं। जिसको नजरअंदाज करना पार्टी के लिए मुश्किल होगा।  इसके साथ ही युवा नेताओं में रणदीप सुरजेवाला, राजीव सातव और आरपीएन सिंह भी इन सीटों के लिए दावेदार हैं।