चंडीगढ़। कांग्रेस को हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक और पार्टी के खिलाफ बागी रूख अपनाए अशोक तंवर ने कांग्रेस की सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि माना जा रहा है कि तंवर जल्द ही कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। लेकिन इतना तय है कि तंवर के जाने से राज्य में दलित वर्ग कांग्रेस से नाराज जरूर होगा।

अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के पांच साल तक अध्यक्ष रहे। जब तक तंवर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। हुड्डा से उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा। पिछले महीने ही जब हुड्डा को विधायक दल का मुखिया बनाया गया था। तभी से ये तय हो गया था कि अब पार्टी तंवर को कोई तवज्जो नहीं देगी। लिहाजा दलित वर्ग को खुश करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कुमारी शैलजा को राज्य की कमान सौंपी थी। ये एक तरह के हुड्डा और शैलजा में डील थी।

जिसके तहत तंवर को राज्य कांग्रेस से एक तरह से बाहर करना था। लिहाजा कांग्रेस पार्टी ने भी जाट और दलित का गणित देखते हुए इस पर मुहर लगाई। तंवर कई दिनों से बागी रूख अपनाए हुए थे। लेकिन दो अक्टूबर को तंवर ने सोनिया के आवास को घेरकर अपना विरोध जताया। लेकिन उसके बाद ये तय हो गया था कि अब पार्टी  में तंवर को कोई तवज्जो नहीं मिलेगी। लिहाजा पार्टी ने तंवर को टिकट नहीं दिया। लिहाजा आज तंवर ने पार्टी की सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है।

तंवर ने बताया कि उन्होंने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख पार्टी की सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है। तंवर ने कहा कि सोहना विधानसभा सीट का टिकट 5 करोड़ में बेचा गया। तंवर को राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हट जाने के बाद तंवर राजनैतिक तौर पर हाशिए में चले गए हैं।