नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने आज केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने शाही परिवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि तिरुवनंतपुरम में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार का अधिकार बरकरार रखने का आदेश दिया है। ये फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि राज्य सरकार ने मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्याय का गठन किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे और कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द किया, जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए न्यास का गठन करने को कहा था। वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ शाही परिवार सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और आज कोर्ट ने शाही परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया है।

शाही परिवार के सदस्य आदित्य वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वह स्वागत करते हैं। यह भगवान श्री पद्मनाभ के साथ हमारे परिवार के संबंध को फिर से स्थापित करता है और इसको लेकर शाही परिवार खुश है। उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदेश पढ़ने के लिए उत्सुक हैं।

असल में त्रावणकोर के राजपरिवार ने केरल हाईकोर्ट के 2011 के उस फैसले को  प्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और संपत्ति को अधिग्रहण करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिया था। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने मंदिर के सभी तहखानों को खोलने का भी आदेश दिया था।

 लेकिन बाद में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के बाद ऐतिहासिक मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन का विवाद नौ साल से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था।  इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था औऱ देश की आजादी के बाद भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार द्वारा किया गया था। इस शाही परिवार के कुलदेवता भगवान पद्मनाभ (विष्णु) हैं। वहीं न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने पिछले साल 10 अप्रैल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुरक्षित रखा था।