आरएसएस प्रमुख ने कहा, सबरीमला का मामला हमारी परंपरा से जुड़ा है। कोर्ट ने फैसला करते वक्त यह नहीं सोचा कि इससे करोड़ों हिंदुओं की भावना आहत होगी। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि समाज को राजनीतिक लाभ के लिए तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इस तरह की कोशिशों के खिलाफ हिंदुओं को एकजुट होना होगा। प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद की धर्मसंसद में हिस्सा लेने पहुंचे भागवत ने यहां सबरीमला का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, कुछ लोग हैं, जो हिंदू धर्म के खिलाफ साजिश रचते हैं, वे लोग सबरीमला में महिला-पुरुष का मुद्दा उठा रहे हैं और हिंदुओं को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा, सबरीमला का मामला हमारी परंपरा से जुड़ा है। कोर्ट ने फैसला करते वक्त यह नहीं सोचा कि इससे करोड़ों हिंदुओं की भावना आहत होगी। कोर्ट ने कहा है कि अगर महिला प्रवेश चाहती है तो उसे करने देना चाहिए, अगर किसी को जाने से रोका जाता है तो उसे सुरक्षा देकर जहां से सब दर्शन करते हैं वहां से ले जाना चाहिए। लेकिन अगर कोई जाना नहीं चाह रहा है तो श्रीलंका से लाकर पीछे के दरवाजे से घुसाया जा रहा है। यह हिंदू धर्म के खिलाफ साजिश है। 

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भागवत ने धर्म संसद के दौरान कहा, 'भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह' बोलने वाले साथ मिलकर हमारे समाज में महिला-पुरुष में भेदभाव की बात लोगों के दिमाग में फैलने का काम कर रहे हैं। यह कपट है। राजनीतिक विवाद के कारण समाज को तोड़कर वोटों की कटाई करने वाले लोग ऐसा कर रहे हैं। केरल सरकार को बिना नाम लिए आड़े हाथों लेते हुए भागवत ने कहा, 'ये ऐसे संगठन हैं जो देश को तोड़ने की घोषणा कर रहे हैं, संविधान की अवहेलना कर ऐसे संगठन एक संप्रदाय के प्रभुत्व की घोषणा कर रहे हैं। केरल का हिंदू समाज इसे लेकर प्रखर आंदोलन कर रहा है। 5 लोगों का बलिदान हुआ है। हिंदू समाज को ठेस पहुंचाने के लिए नई-नई योजनाएं बन रही हैं।' 

भागवत ने कहा कि अयप्पा केवल केरल के हिंदुओं के भगवान नहीं हैं। यह सभी हिंदुओं के भगवान हैं। उन्होंने कहा, 'इस आंदोलन में पूरा हिंदू समाज शामिल है। अयप्पा के भक्त हिंदू समाज के सभी नागरिक हैं। संपूर्ण देश में हमें वस्तुस्थिति बताकर लोगों को जागरूक करना होगा। हिंदुओं के खिलाफ षडयंत्र चल रहा है। कहीं-कहीं षडयंत्र चल जाता है। उसका कारण हमारी कमियां हैं। पंथ, भाषा, जात-पात के नाम पर कोई व्यक्ति हमें अलग नहीं कर सके। सामाजिक समरसता का काम शुरू होना चाहिए।