पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में फैले दिमागी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या 130 तक पहुंच गई है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेहद आलोचना हो रही है। अपनी जान बचाने के लिए बिहार सरकार ने श्री कृष्णास मेडिकल कॉलेज और अस्पीताल के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टीर भीमसेन कुमार को निलंबित कर दिया है।

बिहार सरकार के स्वास्थ्य  विभाग द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक डॉ. भीमसेन को काम में लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंमड किया गया। इसके अलावा मुजफ्फरपुर में डॉक्टरों की किल्लत से निपटने के लिए पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पेताल के बाल रोग विशेषज्ञ एसकेएमसीएच में तैनात किया गया है। 

श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अब तक 109 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं 20 बच्चों की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई है। 

मुजफ्फरपुर में बच्चों की लगातार मौत से आलोचना झेल रही नीतीश कुमार की सरकार अब जाकर कार्यवाही करने के लिए जागी है। मुजफ्फरपुर में अतिरिक्त स्टाफ और ऐंबुलेंस भेजी जा रही हैं। यहां डॉक्टरों, एपिडीमियॉलजिस्ट (महामारी विशेषज्ञ), माइक्रोबायॉलजिस्ट (जीवाणु विशेषज्ञ) और नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल जैसे बड़े संस्थानों के शोधार्थी बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए पहुंच चुके हैं।  

लेकिन यह सब तब हो रहा है जब बीमारी अपने चरम पर है और इसके शिकार लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इससे पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, हर जगह स्टाफ की कमी दिखाई देती थी। जरुरी दवाओं की कमी थी। डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों, लैब टेक्निशियन्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कई पद वर्षों से खाली पड़े हुए थे। 

उधर चमकी बुखार पर नेताओं की राजनीति लगातार जारी है। बेगूसराय से चुनाव लड़ चुके कन्हैया कुमार ने मुजफ्फरपुर पहुंचकर एसकेएमसीएच में घुसने की कोशिश की। लेकिन प्रशासन ने उनकी यह कोशिश विफल कर दी। अस्पताल अधिकारियों के एक आदेश के चलते उन्हें बच्चों के आईसीयू और सामान्य वॉर्ड में घुसने की इजाजत नहीं दी गई।