नई दिल्ली। कांग्रेस ने एक दशक तक सोनिया की अगुवाई में बगैर बहुमत के छोटे छोटे दलों के साथ यूपीए की सत्ता को कायम रखा। लेकिन जैसे ही कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथ में आई छोटे दलों ने कांग्रेस से किनारा शुरू कर दिया था। लिहाजा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अब इन्हीं छोटे दलों के जरिए फिर से सत्ता में आने की तैयारी में जुट गई हैं। इसकी शुरूआत कांग्रेस पश्चिम बंगाल से करेगी।

फिलहाल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने टीएमसी के साथ बातचीत शुरू कर दी है। हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता इसके खिलाफ हैं, लेकिन भाजपा के खौफ के कारण कांग्रेस ने उन्हें टीएमसी के प्रति नरम रूख अपनाने को कहा है।

दो दिन पहले ही कांग्रेस ने राज्य में होने वाले तीन विधानसभा उपचुनाव के लिए माकपा के साथ गठबंधन किया है। लेकिन अब कांग्रेस ने 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा के होने वाले चुनाव के लिए टीएमसी के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं।

फिलहाल इसके लिए टीएमसी के रणनीतिकार बने प्रशांत किशोर भी टीएमसी को सलाह दे रहे हैं कि कांग्रेस के साथ या विपक्षी दलों के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा जाए। कांग्रेस भी इसके लिए टीएमसी से बातचीत करना चाहती है। टीएमसी केन्द्र में यूपीए सरकार को पहले समर्थन दे चुकी है।

हालांकि टीएमसी के साथ चुनावी गठबंधन पर अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को ही लेना है। राज्य में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और माकपा के बीच चुनावी गठबंधन नहीं हो सका था। यही नहीं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने चुनाव अकेले लड़ा था।

इसके साथ ही कांग्रेस तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए फिर से छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाएगी। हालांकि हरियाणा में इसकी उम्मीद कम ही है। लेकिन झारखंड और महाराष्ट्र में फिर से गठबंधन का दौर शुरू करेगी।

झारखंड में हालांकि कांग्रेस का पहले से ही जेएमएम के साथ चुनावी गठबंधन है लेकिन इसके अलावा अब कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के साथ भी गठबंधन की संभावनाएं तलाशेगी। इसके साथ ही महाराष्ट्र में अभी तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन बना हुआ है। लेकिन राज ठाकरे की पार्टी मनसे को भी कांग्रेस अपने गठबंधन का हिस्सा बनाने पर विचार कर रही है।

अगर इन दोनों राज्यों में गठबंधन सफल होता है तो इसका प्रयोग आगे भी रखा जाएगा। हालांकि लोकसभा चुनाव में बिहार में हुए गठबंधन के ज्यादातर दलों ने कांग्रेस और राजद के गठबंधन से किनारा कर लिया है। जीतनराम मांझी की पार्टी इस गठबंधन से कुछ दिन पहले ही अलग हुई है।

कांग्रेस फिर से राजद के साथ चुनावी गठबंधन की दिशा में रणनीति बना रही है। पार्टी के जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जिन भी राज्यों में कांग्रेस के छोटे दलों के साथ गठबंधन नहीं बने हैं वहां इसकी कोशिश फिर से की जाएगी। जबकि राहुल गांधी के बीस महीने के अध्यक्ष के कार्यकाल में सहयोगी दलों ने कांग्रेस का साथ छोड़कर एनडीए का दामन थामा है।