भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नौ विधायकों सहित 20 विधायकों को आयकर विभाग ने चुनाव के दौरान तय सीमा से ज्यादा पैसा करने के लिए नोटिस भेजा है। आयकर विभाग की नोटिस के बाद राज्य में कमलनाथ सरकार पर एक बार फिर संकट के बाद छाने लगे हैं। क्योंकि अगर ये सही पाए जाते हैं तो विधायकों की सदस्यता भी रद्द हो सकती है।

असल में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में इन विधायकों को इसलिए जारी किए गए हैं, क्योंकि चुनाव लड़ने के दौरान आय के जो ब्यौरे इन्होंने आयकर विभाग और चुनाव आयोग को दिए हैं। वह आपस में मेल नहीं खा रहे हैं। लिहाजा विधायको को डर सताने लगा है। फिलहाल इस नोटिस मिलने के बाद कांग्रेस के भीतर खलबली मची हुई है।

असल में राज्य में कुछ दिनों से भाजपा और कांग्रेस के बीच दांव-पेंच के चलते हलचल मची हुई है। पिछले दिनों विधानसभा में दंड विधान संशोधन विधेयक पर कमलनाथ सरकार ने भाजपा के दो विधायकों को अपने पाले में कर लिया था। जिसके बाद भाजपा बैकफुट पर आ गई।

वहीं इससे पहले भाजपा दावा कर रही थी वह जब चाहे राज्य में कमलनाथ सरकार को गिरा सकती है और कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद राज्य में आपरेशन लोटस शुरू किया जाएगा। हालांकि इसी बीच कांग्रेस सरकार ने भाजपा पर दबाव बनाने के लिए ई-टेंडरिंग मामले में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दो करीबियों की गिरफ्तारी कर भाजपा पर भी दबाव बनाया था।

लेकिन अब आयकर विभाग की नोटिस के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है। हालांकि आयकर विभाग नोटिस देकर कार्यवाही कर सकता है। लेकिन अगर चुनाव आयोग आयकर विभाग की दलीलों से संतुष्ट होता है तो विधायकों को अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।

क्योंकि विधायकों को शपथपत्र के जरिए चुनाव में खर्च का ब्यौरा देना होता है। फिलहाल जिन 20 विधायकों को नोटिस दिया गया है उसमें से नौ विधायक कांग्रेस के हैं। जबकि कुछ विधायक भाजपा के हैं। लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल कांग्रेस की है। राज्य की 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं और वह बहुमत के आंकड़े से दो कम है।

लेकिन फिलहाल उसे चार निर्दलीय, सपा का एक और बसपा के दो विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं कमलनाथ सरकार निर्दलीय विधायकों और सपा और बसपा विधायकों को खुश करने के लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल करने जा रही है।