बिहार में यूपीए महारगठबंधन में दरार दिखने लगी है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियों से दूरी बनाए हुए हैं। जबकि दोनों दल राज्य में महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। फिलहाल तेजस्वी राज्य में चुनाव प्रचार से सक्रिय नहीं हैं, और राहुल गांधी की रैलियों में भीड़ एकत्रित नहीं हो रही है क्योंकि राजद कार्यकर्ता भी अपने नेता की तरह रैलियों से नदारद हैं। जबकि बीजेपी राज्य में पूरी तरह से सक्रिय होकर चुनाव प्रचार कर रही है। यही नहीं महागठबंधन में हम के नेता जीतन राम मांझी और रालोसपा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा में शब्दों के बाण चल रहे हैं। जिससे गठबंधन में चल रही खटपट सबके सामने आ रही है।

शनिवार को सुपौल में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनावी रैली थी। जबकि राज्य के अररिया में पीएम मोदी की भी रैली थी, जिसमें जबरदस्त भीड़ देखी गयी। जबकि राहुल गांधी की रैली में जनता नदारद थी। हालांकि इस रैली में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये रही कि इसमें राजद के नेता तेजस्वी यादव मौजूद नहीं थे। लिहाजा उनकी गैरहाजिरी ने प्रदेश के सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है।

कुछ दिनों पहले तेजस्वी राजद की रैलियों से भी दूर रहे। जबकि वह पार्टी के स्टार प्रचारक हैं। लेकिन महागठबंधन की रैलियों से तेजस्वी का दूर होना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है और इसका सीधा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ रहा है। यही नहीं जब नौ अप्रैल को राहुल गांधी की गया में रैली थी जब भी तेजस्वी इसमें नजर नहीं आए। सवाल ये है कि तेजस्वी का संयुक्त रैलियों में दिखाई ने देने के क्या मायने हैं।

क्योंकि तेजस्वी को लग रहा है कि राज्य में गठबंधन की स्थिति खराब है या फिर वह अपने पारिवारिक कलहों से नहीं उबर पा रहे हैं। लालू यादव रांची की रिम्स में भर्ती हैं और उनसे मिलने के लिए प्रशासन ने रोक लगा रखी है। वहीं एक दिन पहले जनता दल यूनाइटेड ने चुनाव आयोग ने राजद के खिलाफ शिकायत दर्ज की है कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जेल में रहकर प्रत्याशियों को टिकट दे रहे हैं। 

हालांकि राजद की तरफ से संदेश दिया गया कि तेजस्वी बीमार हैं।  जबकि इससे पहले राजद ने तेजस्वी का विमान खराब हो जाने का बात कही थी। लेकिन सच्चाई ये है कि गठबंधन में कुछ न कुछ तो गड़बड़ चल रहा है। वहीं गठबंधन में सहयोगी हम के नेता जीतन राम मांझी अपने ही सहयोगी दल रालोसपा नेता उपेन्द्र प्रसाद कुशवाहा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और सार्वजनिक मंचों पर एक दूसरे को कोस रहे हैं। 

जिसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। वहीं राजद और कांग्रेस में सवर्ण आरक्षण को लेकर भी तनातनी चल रही है जहां कांग्रेस इसका समर्थन कर रही है वहीं राजद सके विरोध में है। जिसके कारण कांग्रेस से सवर्ण वोटर दूर जा रहा है।