कांग्रेस के राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले तेज करने के बाद सरकार बड़े पलटवार की तैयारी कर रही है। फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे में कथित घोटाले के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोप को फुस्स करने के लिए सरकार इसकी कीमतें देश के सामने रखने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है। 

कांग्रेस 2019 के आम चुनाव में राफेल सौदे को मुख्य मुद्दा बनाने की कोशिश में है। यही कारण है कि सोमवार को पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस की थी। इसमें कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार का यह दावा 'बिल्कुल गलत' है कि गोपनीयता समझौते के कारण इस सौदे की कीमतों का ब्यौरा जारी नहीं किया जा सकता। इस संबंध में संसद में दिए गए दो लिखित उत्तरों को भी जारी किया गया, जहां एनडीए सरकार ने दो अवसरों पर विमान के प्रति इकाई दाम का जिक्र किया है। 

सरकार के सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, 'इस सौदे की कीमत को पहले भी दो बार बताया जा चुका है। हमारे लिए इस सौदे में छिपाने के लिए कुछ नहीं है। अब हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या हम सौदे से जुड़ा सभी ब्यौरा देश के सामने रख सकते हैं, ताकि लोगों के मन में इस सौदे को लेकर बरती गई उच्च स्तर की पारदर्शिता को लेकर कोई संशय न रहे।'

सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ इस मामले को पीएमओ समेत सरकार के शीर्ष अधिकारी देख रहे हैं। वे अब इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि राफेल मुद्दे को आम चुनाव में कांग्रेस के लिए राजनीतिक हथियार नहीं बनने दिया जाएगा। 

रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे की ओर से राफेल विमान की कीमतों को लेकर दो बार खुलासा किया गया है। उन्होंने ये कीमतें रक्षा मंत्रालय के वायुसेना के रोजमर्रा के कामकाज और संचालन को देखने वाले विभाग के हवाले से बताईं, न कि मंत्रालय की उस इकाई के हवाले से, जो विदेशी सरकारों के साथ खरीदारी का मामला देखती है।

इस सौदे से जुड़ी कीमतों का खुलासा करने या न करने को लेकर असमंजस की स्थिति है, क्योंकि राहुल गांधी के पहली बार 36 राफेल विमानों के सौदे में अनियमितता के आरोप लगाए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस कांफ्रेंस की थी। 

इस मुद्दे को संसद के तीन सत्रों में लगातार उठाया गया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अगले चुनाव में इसे सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है।