उत्तर प्रदेश में योगी सरकार इतिहास की गलतियों को सुधारने की कड़ी में एक और बड़ा कदम उठाया है। यूपी कैबिनेट ने आज एक प्रस्ताव पास करके गंगा-यमुना संगम पर बसे प्रयाग का प्राचीन नाम बहाल कर दिया है। मुगल काल में इसका नाम प्रयाग से बदलकर इलाहाबाद किया गया था। उत्‍तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इसकी जानकारी दी।

कैबिनेट से मंजूरी मिलने के साथ ही गंगा, यमुना और अदृश्‍य सरस्‍वती के संगम पर बसे इस ऐतिहासिक शहर को अपनी पुरानी पहचान फिर से मिल गई। जब से यूपी में भाजपा की सरकार आई है तभी से नाम बदलने को लेकर चर्चा थी।

साधु संतों ने भी आने वाले कुंभ स्नान से पहले नाम बदलने की मांग की थी। इसी को ध्यान में रखकर यूपी कैबिनेट ने नाम बदलने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी। बीजेपी सरकार के आने बाद सबसे पहले मुगलसराय जंक्शन का नाम बदल कर पं. दिनदयाल उपाध्याय के नाम पर दिनदयाल नगर जंक्शन कर दिया गया था।

 सरकार ने पहले ही प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन करने की सिद्धांत रूप में मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने को समर्थन देते हुए कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है, उसे प्रयाग कहा जाता है।

उत्तराखंड में भी ऐसे कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग जैसे पांच प्रयाग स्थित है। हिमालय से निकलने वाली देवतुल्य दो नदियों का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है। ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयाग राज किया जाना उचित ही होगा।

इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज करने के यूपी सरकार के पैसले के बाद ट्विटर भी लोग इसको लेकर चर्चा कर रहें हैं। पहले पत्रकार अभिशार शर्मा ने अपने ट्विटर हैंडल से सरकार के इस फैसले की निन्दा करते हुए एक ट्वीट किया इसके बाद दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने अभिसार की चुटकी लेते हुए ट्वीट किया।
 

अब से लगभग 433 साल पहले 1575 में मुगल बादशाह अकबर ने प्रयाग का नाम इलाहाबाद रखा था l अकबर इलाहाबाद के धार्मिक महत्व से बहुत प्रभावित था इलाहाबाद की अपनी यात्रा के दौरान उसने इसे इलाहाबास नाम दिया था जिसका अर्थ है अल्लाह का घर l

बाद में इलाहाबास का नाम बदलते-बदलते इलाहाबाद हो गयाl हालांकि अकबर के समय बनने वाले सिक्कों में दोनों नाम इंगित होते थे शाहजहां के समय तक इलाहाबाद नाम लोकप्रिय हो गया था।

अकबर द्वारा नाम बदलने से पहले इलाहाबाद को प्रयाग के नाम से जाना जाता था हालांकि कुछ प्राचीन साहित्य में इसे पियाग भी लिखा गया है l अकबर के दरबार में मौजूद इतिहासकार अबुल फजल इसे पियाग ही बुलाता थाl

ऋग्वेद और कुछ पुराणों में इस जगह को भारत का प्रमुख तीर्थ बताया गया है कुंभ मेले के साथ इस धार्मिक नगरी का मेल सदियों पुराना है इसे माघ मेला भी कहा जाता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने संस्मरण में इस मेले के बारे में लिखा है l  ह्वेनसांग ने 644 ई, में प्रयाग में आयोजित एक वार्षिक मेले का जिक्र किया है।

लेकिन सनातन परंपरा के मुताबिक प्रयाग का इतिहास हजारों साल पुराना हैl हिंदू धर्म में प्रयाग को काशी के बाद दूसरा सबसे पवित्र शहर माना जाता है।