गाजीपुर। पुरखों की रियासत की गोद में बैठकर सियासत के शीर्ष पर पहुंचने से पहले मुख्तार अंसारी ने अपनी जो एक माफिया की छवि बनाई थी, वह सिर्फ जुबानी नहीं थी। उसकी जमीनी हकीकत भी लोगों ने देखी, परखी और जानी थी। प्रदेश में सत्ता किसी की रही हो, बोलबाला मुख्तार कुनबे का ही रहा। देश किसी भी जेल की दीवारे इतनी मजबूत कभी नहीं हुईं कि मुख्तार की मुख्तारबंदी बांध नहीं सकीं।  अपने जीवन के आखिरी के 18 साल 6 माह जेल में गुजारने वाले मुख्तार का सिक्का हर जगह चला। 

गाजीपुर पीजी कालेज क्रिकेट टीम का सफल खिलाड़ी हुआ करता था मुख्तार अंसारी
यूपी के गाजीपुर पीजी कॉलेज से स्नातक करने वाला मुख्तार अंसारी का शुरूआती जीवन जरायम की दुनिया से दूर था। उसकी गिनती अपने जिले और कालेज के चुनिंदा क्रिकेटरों में होती थी। गाजीपुर जेल में रहने के दौरान भी वह अधिकारियों के साथ बैडमिंटन खेलता था। पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनैतिक और सम्मानित हैसियतादार के रूप में गिनी जाती थी। यहीं मुख्तार अंसारी के लिए अभिशाप बनी या वरदान, जो कुछ भी कहें लेकिन उसके जीवन के आखिरी दिन कष्टमय गुजरे। कभी किसी के सामने घुटने न टेकने वाले मुख्तार की जिंदगी के आखिरी पड़ाव में कोर्ट के सामने उसकी गिड़गिड़ाट से साफ पता चल रहा था कि उसकी अकड़ चूर-चूर हो चुकी है। 

5 में से 3 बार जेल में रहकर जीती विधायकी 
5 में से 3 बार जेल में रहते हुए विधायकी में विजय श्री का पताका फहराने वाले मुख्तार अंसारी की जरायम की दुनिया की बादशाहत ही बर्बादी का कारण बन गई। मुख्तार का जन्म 20 जून 1963 को नगर पालिका परिषद मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के छोटे बेटे के रूप में हुआ था। शुरूआती जीवन में बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी रहा मुख्तार मकनू सिंह और साधू सिंह की छत्रछाया में अपराध का ककहरा सीखा और एक दौर ऐसा आया, जब उसने खुद का गैंग खड़ा कर लिया।  वर्ष 1997 में मुख्तार अंसारी का अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) पुलिस डोजियर में दर्ज किया गया। 25 अक्तूबर 2005 को मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे गया तो फिर बाहर नहीं निकल पाया। इस बीच वर्ष 1996 से 2022 तक वह मऊ सदर विधानसभा से पांच बार लगातार विधायक चुना गया।

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