सोनभद्र: उम्भा गांव में 90 बीघा जमीन के लिए 9 ग्रामीणों की हत्या पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। हत्यारे 32 ट्रैक्टरों में बैठकर आए थे। उनकी संख्या लगभग 80 थी और यह सभी बंदूक, तलवार, कट्टा, गंडासा, फरसा, बल्लम, भाला जैसे घातक हथियारों से लैस थे। 

1. विवाद कहां शुरु हुआ?
पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक गांव के प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर ने दो साल पहले एक आईएएस अधिकारी से 90 बीघा जमीन खरीदी थी। लेकिन इस जमीन पर उसका कब्जा नहीं था। बुधवार की सुबह यज्ञवत अपने 70-80 साथियों के साथ इस जमीन पर कब्जा करने पहुंचा। यहां पहुंचकर उसने जमीन को जोतना शुरु किया। 

लेकिन वहां मौजूद आदिवासी ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। क्योंकि वह कई पीढ़ियों से इन जमीनों पर खेती करते आए हैं। जिसके बाद प्रधान के आदमियों ने हवाई फायरिंग करके ग्रामीणों तो डराना चाहा। लेकिन नाराज ग्रामीणों ने लाठी और पत्थर से इन बाहरी लोगों को भगाने की कोशिश शुरू की। 

जिसके बाद खूनी संघर्ष चालू हो गया। प्रधान के आदमियों ने ग्रामीणों पर घातक हथियारों से हमला बोल दिया जिसमें 3 महिलाओं समेत 9 लोगों की मौत हो गई। 

शुरू में जब लाठी-डंडा और भाला-बल्लम से ग्रामीणों पर हमला हुआ तो उन लोगों ने इस जवाब भी दिया। लेकिन, जब यज्ञदत्त के पक्ष की ओर से ग्रामीणों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी गई तो ग्रामीणों में शामिल महिलाएं, पुरुष और बच्चों में भगदड़ मच गई। इसी भगदड़ के दौरान किसी के पीठ तो किसी के कमर में गोली लगी। किसी को सामने की ओर से कंधे तक में गोली लगी। गोलीबारी लगभग 20 मिनट तक चलती रही इस दौरान वहां सात लाशें बिछ गईं। बाद में दो की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।

2.झगड़े की जड़ है बिहार का एक आईएएस अधिकारी
इस नरसंहार की जड़ में बिहार कैडर का एक आईएएस अधिकारी है। जिसने हर्बल खेती के नाम पर यहां जमीनें एक सोसायटी के नाम से खरीदी बाद में 6 सितंबर 1989 को पूरी जमीन अपनी पत्नी और बेटी के नाम करवा दिया। जो कि कानूनी रुप से गलत है। 
इस इलाके के आदिवासी इस जमीन पर खेती करते थे, जिसके कारण इस अधिकारी को जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया। आखिरकार उसने यह जमीन गांव के प्रधान यज्ञवत घुरतिया को बेच दी। जिसने इस जमीन पर कब्जा करने के लिए लाशें बिछा दी। 

3.क्या है ग्रामीणों का पक्ष 
चारों तरफ से जंगलों से घिरे इस इलाके में गोंड अदिवासी रहते हैं और यहां की ज़्यादातर ज़मीन वनभूमि है। जिसपर पीढ़ियों से ग्रामीण आदिवासियों का कब्जा रहा है। लेकिन बाद में कागजातों में हेर फेर करके लोग यहां जमीन खरीदने की कोशिश करते हैं। बाद में इन जमीनों पर कब्जे को लेकर विवाद हो जाता है। 

उम्भा गांव की जमीन पर को पिछले 70 साल से खेत जोत रहे गोंड जनजाति के लोग प्रशासन से गुहार लगाते रहे लेकिन उन्हें  जमीन पर अधिकार नहीं दिया गया। पिछले साल तत्कालीन जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने सहायक अभिलेख अधिकारी को मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन कर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

लेकिन 2 फरवरी 2019 को उनके तबादले के 4 दिन बाद 6 फरवरी 2019 को सहायक अभिलेख अधिकारी ने आदिवासियों की मांग को अनसुना कर बेदखली का आदेश दे दिया। ग्रामीणों ने उसके बाद जिला प्रशासन को भी इस मामले से अवगत करवाया लेकिन वहां भी अनसुनी हुई।
 
4. उच्च स्तर पर राजनेताओं ने जाहिर की चिंता
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत रुप से संज्ञान लेते हुए मिर्जापुर के मण्डलायुक्त तथा वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को घटना के कारणों की संयुक्त रूप से जांच करने के निर्देश दिये हैं।  साथ ही लापरवाही सामने आने पर जिम्मेदारी तय करते हुए 24 घण्टे में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये हैं। 

योगी ने इस घटना में मारे गये लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता का एलान किया है। उन्होंने जिलाधिकारी सोनभद्र को निर्देश दिए हैं कि वह बताएं कि ग्रामवासियों को पट्टे आखिर क्यों मुहैया नहीं कराए गए थे।

कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट करके  कहा है कि  'भाजपा-राज में अपराधियों के हौंसले इतने बढ़ गए हैं कि दिन-दहाड़े हत्याओं का दौर जारी है। सोनभद्र के उम्भा गाँव में भू माफियाओं द्वारा 3 महिलाओं सहित 9 गोंड आदिवासियों की सरेआम हत्या ने दिल दहला दिया। प्रशासन-प्रदेश मुखिया-मंत्री सब सो रहे हैं. क्या ऐसे बनेगा अपराध मुक्त प्रदेश?

उधर समाजवादी पार्टी ने भी इस घटना को लेकर योगी सरकार पर कड़ा हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए मृतक परिवारों को बीस-बीस लाख रुपये देने की मांग की है। 

 

5. अभी तक हुई है यह कार्रवाई
इस मामले में पुलिस ने 61 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसमें से 24 गिरफ्तारियां भी हुई हैं। घटना के पीड़ितों में से 20 लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिसमें से 5 की हालत गंभीर है। 

पुलिस महानिदेशक ने बताया है कि पुलिस ने जमीन के विवाद में ग्राम प्रधान पक्ष को पहले भी चेतावनी जारी की थी और उसकी सम्पत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी मजिस्ट्रेट के यहां चल रही है। इस घटना के बाद मध्य प्रदेश पुलिस को भी सतर्क कर दिया गया है। जरूरत पड़ने पर जमीन बेचने वाले आईएएस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। 

6. कौन है मुख्य आरोपी प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर
उभ्भा गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर कुछ साल पहले तक बसपा से जुड़ा हुआ था। उसकी गाड़ियों पर बसपा का झंडा होता था। बाद में उसने इसे हटवा दिया। 

उभ्भा गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर और उसका परिवार पश्चिमी यूपी से आकर यहां बसा हुआ था। गांव वालों के अनुसार लगभग 50-60 साल पहले पश्चिमी यूपी से यज्ञदत्त के पूर्वज यहां आए। उसके बाद यहीं बस गए। 

जबकि इस गांव में रहने वाले आदिवासी सौ-डेढ़ सौ साल से यहां रह रहे हैं। इस गांव में गुर्जर लोगों के डेढ़ सौ परिवार हैं, जिसमें लगभग छह सौ लोगों की आबादी है।