अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर एक खतरनाक मोड़ पर खड़ा है। अमेरिकी आईटी दिग्गज गूगल ने चीन की टेलिकॉम कंपनी हुवेई के लिए अपनी एंड्रॉएड टेक्नोलॉजी के अपडेट को बंद कर दिया है। इसके साथ ही गूगल ने चीनी कंपनी के लिए अपनी सप्लाई लाइन बाधित कर दी है।

गूगल ने यद कदम पिछले हफ्ते अमेरिकी सरकार द्वारा हुवेई को ब्लैकलिस्ट किए जाने के बाद उठाया। गूगल ने अपनी सफाई में कहा है कि उनका फैसला पूरी तरह से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के दायरे में है। हालांकि इस फैसला का क्या असर देखने को मिलेगा इसपर गूगल ने दावा किया है कि वह फिलहाल अपने फैसले के असर को परखने का काम करेगी।

गूगल के इस फैसले से अब हुवेई कंपनी अपने मोबाइल में गूगल की तकनीकि का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। खासबात है कि एंड्रॉएड फोन में गूगल प्ले के इस्तेमाल से मोबाइल यूजर अपने लिए एप्प डाउनलोड करने के साथ-साथ सुरक्षा का प्रमुख फीचर एंटी वायरस सॉफ्टवेयर गूगल प्ले प्रोटेक्ट का इस्तेमाल करते हैं। 

हालांकि गूगल ने कहा है कि फिलहाल वह पुराने हुवेई फोन में  इस्तेमाल हो रहे गूगल के फीचर्स को बाधित नहीं कर रहा है लेकिन चीन की कंपनी के लिए अब नए हैंडसेट के लिए यह सुविधा नहीं मिलेगी। लिहाजा, चीन के बाहर इस्तेमाल हो रहे हुवेई के नए स्मार्टफोन में गूगल के खास फीचर्स शामिल नहीं किए जा सकेंगे। इनमें गूगल प्ले, गूगल मैप और जीमेल एप्प प्रमुख है।

हालांकि हुवेई को एंड्रॉएड ऑपरेटिंग सिस्टम की सुविधा मिलती रहेगी क्योंकि इस ऑपरेटिंग सिस्टम की लाइसेंसिंग ओपन सोर्स के तहत है और इसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन गूगल ने अब हुवेई को एंड्रॉएड और अन्य गूगल सर्विसेज के लिए टेक्निकल सपोर्ट को बाधित कर दिया है।

गूगल के इस फैसले पर हुवेई के फाउंडर रेन झेंगफई ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अमेरिका की कोशिश है कि वह हुवेई के ग्लोबल कारोबार को नुकसान पहुंचाए। रेन ने यह भी दावा किया कि अमेरिका उनकी कंपनी को कमजोर आंकते हुए हुवेई के कारोबार को नुकसान पहुंचाने की कवायद में है।

रेन ने दावा किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनके वैश्विक कारोबार को नुकसान पहुंचाने की कवायद कर रहे हैं। रेन ने कहा कि अमेरिका वैश्विक स्तर पर 5जी टेक्नोलॉजी में उसकी क्षमता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में है। रेन ने भरोसा दिलाया कि गूगल के इस कदम से उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा और अगले 2-3 साल में हुवेई 5जी टेक्नोलॉजी में अपनी बादशाहत कायम कर लेगी।

गौरतलब है कि हुवेई के स्मार्टफोन में इस्तेमाल हो रहे चिप की आधी मैन्यूफैक्चरिंग अमेरिका में होती है वहीं बाकी आधी चिप्स को चीन की कंपनियां निर्मित करती हैं। रेन ने दावा किया है कि जरूरत पड़ने पर चीन की कंपनियां अमेरिका के चिप की नकल उतारकर उत्पादन करने के विकल्प को चुन सकती हैं।