गाजीपुर। पूर्वांचल का डॉन मुख्तार के लिए 30 मार्च 2024 की तारीख सनद हो गई। आज वह मिट्टी में मिल गया। उसे गाजीपुर के कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उसके माता-पिता की मजार से महज 5 फीट की दूरी पर उसका आखिरी ठिकाना 29 मार्च को भतीजे शोहब अंसारी की देखरेख में करीब 4.30 घंटे में तैयार किया गया।

 

जेल के अंदर खत्म हो रही मौत के सौदागरों की बादशाहत...
मुख्तार का अंत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया। जिनका उत्तर उसके घर परिवार के लोग जरूर खोजने की कोशिश करेंगे। परिवार से इतर आम आदमी के दिमाग में भी कुछ सवाल अभी भी अनुत्तरित है। मसलन अगर मुख्तार की मौत का कारण बीमारी थी और अतीक-अशरफ की मौत का कारण अज्ञात हत्यारों की प्लानिंग तो फिर इनको पहले से कैसे अंदेशा हो गया था कि इनकी हत्या होने वाली है? 347 दिन में अतीक-अशरफ और मुख्तार का खात्मा हो गया।

 

15 अप्रैल को रमजान के महीने में अतीक-अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या
जरायम की दुनिया में अपना डंका बजाने वाले प्रयागराज के अतीक अहमद और पूर्वांचल के गाजीपुर निवासी मुख्तार अंसारी की मौत का कारण अलग-अलग है लेकिन मौत के पहले होने वाला एहसास एक जैसा है। 15 अप्रैल 2023 की रात में प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू हास्पिटल में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते समय अतीक और अशरफ को 3 लड़कों ने पुलिस कस्टडी में सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया। तीनों ने माफिया ब्रदर्स पर इस कदर गोली बरसाई कि अस्पताल की चौखट से डाक्टर के चैंबर तक जाने के लिए भी सांसे नहीं बचीं। पुलिस ने बड़े आराम से तीनों कातिलों को पकड़ लिया। तीनों ने जो वजह बताई वह थी कि वह अतीक को मारकर अपना नाम ऊंचा करना चाह रहे थे।  वह महीना रमजान का था।

 

हत्या से ठीक पहले अतीक-अशरफ ने कहा था,  हत्या के साजिश रची जा रही
हत्या से ठीक पहले अतीक और अशरफ ने कहा था कि उनकी हत्या कर दी जाएगी। अशरफ ने तो यहां तक कहा था कि उसे एक बड़े पुलिस अधिकारी ने धमकी दी है कि दोनों भाइयों को मार दिया जाएगा। उस वक्त अशरफ ने दावा किया था कि उसने पुलिस अधिकारी के नाम के साथ एक चिट्ठी प्रदेश के सीएम, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति और अन्य जगहों पर भेज दी है। 

 

21 मार्च को कोर्ट में मुख्तार ने अर्जी देकर slow poison देकर मारने की दी थी अर्जी 
अब बात करते हैं मुख्तार अंसारी की। बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी का यू तो हर जेल में सिक्का चलता था। इधर दो-तीन महीनों से ऐसा क्या हो गया था कि मुख्तार की शारीरक और मानिसक स्थिति कमजोर होने लगी थी। हमेशा दहाड़ने वाल शख्स अचानक लाचारी के सागर में डूबने लगा था। वह जेल अधिकारियों से लेकर कोर्ट में जजों के सामने तक रहम की भीख मांगने लगा था। 21 मार्च को उसने रायबरेली के गैंगस्टर कोर्ट में अपने वकील के सामने एक अर्जी लगवाई। जिसमें उसने कहा कि उसे 19 मार्च की रात में खाने में जहर दिया गया था। जिससे उसकी तबियत बिगड़ गई। उसे मारने की साजिश बड़े पैमाने पर रची जा रही है। उसके हाथ पैर सुन्न पड़ रहे हैं। नसों में ऐसा दर्द हो रहा है कि उसके प्राण निकल जाएंगे।

 

आखिर मुख्तार को कैसे एहसास हुआ कि उसकी मौत होने वाली है?
मुख्तार को भी आखिरी दिनों में मौत का खौफ सताने लगा था। उसकी लाचारी आखिरी बार उसके बेटे उमर के साथ हुई बातचीत के आडियो में साफ सुनी जा सकती है। और आखिरकार 28 मार्च की वो शाम जब मुख्तार अंसारी का मौत से आमना-सामना हो गया। यह भी महीना रमजान का है। 

 

सरकारी मुलाजिम...राजनीतिक दुश्मन...या फिर जेल के अंदर होने वाली घटनाएं...क्या है इनके डर का कारण ?
ऐसी आशंकाएं जेल में या पुलिस कस्टडी के दौरान जान गंवाने वाले कई माफिया पहले ही जता चुके हुए होते हैं। भले ही ये माफिया...हैं से थे बन चुके हों, इनके आतंक का खात्मा हो चुका हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तव में जेल के अंदर बड़े माफियाओं को मौत का खौफ दिखा कर डराया जाता है? क्या उनकी जान लेने से पहले एक योजना के तहत उनके अंदर इस तरह का डर पैदा किया जाता है? क्या इन माफियाओं के सामने ऐसी परिस्थितयां पैदा की जाती हैं कि उन्हें मौत का डर सताने लगे?  और अगर ऐसा है तो फिर कौन है वो लोग...जो ऐसा करते हैं? सरकारी मुलाजिम...राजनीतिक दुश्मन...या फिर जेल के अंदर होने वाली घटनाएं...?  इन सवालों के जवाब कौन सी जांच कमेटी और कब करेगी...यह भी एक अनुत्तरित सवाल है?  

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