पूरा देश अटल बिहारी वाजपेयी के लिए दुआएं कर रहा था। 11 जून को एम्स अस्पताल में भर्ती कराए गए पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की सेहत पिछले 24 घंटे में बहुत खराब हो गई थी। उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। लेकिन ऐसे मुश्किल समय में भी अटल को पसंद करने का दावा करने वाला विपक्ष 2019 में नरेंद्र मोदी को हराने की रणनीति बनाने के लिए सभा कर रहा था। दिल्ली में 'सांझी विरासत' कार्यक्रम के नाम पर विपक्षियों का जमावड़ा लगा था। 

इस कार्यक्रम में विपक्षी दलों के तमाम दिग्गज नेता जुटे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, जेडीएस के नेता दानिश अली, एनसीपी नेता तारिक अनवर, शरद यादव और हाल ही में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए चंदन मित्रा भी शिरकत करने पहुंचे। यह आयोजन एम्स से कुछ किलोमीटर दूर तालकटोरा स्टेडियम में हो रहा था। बताया जाता है कि यह कार्यक्रम उस समय हुआ जब डॉक्टर वाजपेयी की जीवन रक्षक प्रणाली हटाने पर फैसला ले रहे थे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 घंटे के अंदर तीन बार अटलजी का हालचाल लेने एम्स पहुंचे। यहां तक कि आम लोग भी पूर्व प्रधानमंत्री के गिरते स्वास्थ्य को लेकर जानकारी हासिल करने में जुटे नजर आए। अपनी राजनीतिक विचारधारा के बावजूद अटल हर वर्ग के चहेते थे। 

एक तरफ देश के बड़े नेता हर गुजरते लम्हे के साथ मौत के करीब जा रहे थे, वहीं विपक्ष 'सांझी विरासत' को दिखाने का प्रयास कर रहा था। लोग राजनेताओं के स्वार्थ को देखकर हैरान थे और सोच रहे थे ये कैसी 'सांझी विरासत' विरासत है।