सेना ने अधिकारियों की कमी दूर करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। अब सीधे जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (जेसीओ) की भर्ती पर विचार हो रहा है। इससे आतंकवाद और दूसरे अभियानों के लिए सेना को युवा और मध्यम आयु वर्ग के अधिकारी मिल सकेंगे। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की ओर से एडजुटेंट जनरल शाखा के दिए गए सुझाव के अनुसार, जो उम्मीदवार 5% अंकों की कमी के चलते अधिकारी के रूप में सेना के लिए चयनित होने से महरूम रह गए हैं, उन्हें जेसीओ के रूप में सेना से जुड़ने का मौका दिया जा सकता है। 

सेना के शीर्ष सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि अगर हम एक दक्ष आईटी इंजीनियर को जेसीओ के तौर पर सेना में भर्ती कर पाते हैं तो उसका इस्तेमाल साइबर ऑपरेशन और साइबर जगत में होने वाली 'जंग' में किया जा सकता है। सुरक्षित नौकरी और अन्य लाभों के साथ उन्हें 70,000 रुपये का शुरुआती वेतन दिया जा सकता है। सूत्रों का मानना है कि सुरक्षित नौकरी के साथ यह वेतनमान निजी क्षेत्र के मुकाबले काफी अधिक है। इससे बड़ी संख्या में युवाओं के सेना की ओर आकर्षित होने की संभावना है।

जवान को जेसीओ बनने में लगते हैं 20 साल 

अभी, सेना के एक जवान को जेसीओ बनने में लगभग 20 साल का समय लगता है। युद्ध और आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान जेसीओ, जवान और अधिकारियों के बीच लिंक के तौर पर काम करते हैं। अगर इस योजना को स्वीकार कर लिया जाता है तो जेसीओ बनने की समयसीमा काफी कमी आ जाएगी। किसी दुलर्भ स्थिति में अधिकारी न होने पर वे खुद अभियान का नेतृत्व कर सकेंगे।  

लेफ्टिनेंट कर्नल के रैंक तक पहुंच सकेंगे

योजना के तहत, इन जेसीओ को अधिकारी बनने का मौका मिलेगा। वे सेना में लेफ्टिनेट कर्नल तक के रैंक तक पहुंच सकते हैं। वैसे जेसीओ को हर पांच साल की सेवा के बाद प्रमोशन देने का विचार है। जेसीओ के तौर पर सीधे भर्ती होने वाले युवा 30 साल तक सेना में सेवा दे सकेंगे। उन्हें बतौर जेसीओ और 15 साल की सेवा के बाद लेफ्टिनेंट (ऑफिसर कैडर में प्रवेश के बाद) बनने पर पद के अनुसार सभी लाभ एवं भत्ते मिलेंगे। 

ओटीए जैसी एकेडमी पर भी विचार

सेना इस बात पर भी विचार कर रही है कि गया की ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) की तर्ज पर एक उपयुक्त एकेडमी हो, जहां सीधे जेसीओ बनने वाले युवाओं को सैन्य अभियानों के लिए तैयार किया जा सके। नौ महीने के प्रशिक्षण के बाद इन जेसीओ को विभिन्न यूनिटों के साथ छह महीने का अभ्यास कराया जाएगा। इसके बाद ये लोग अपना काम शुरू कर सकेंगे।  सूत्रों के अनुसार, अगर इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाती है तो इससे सेना का प्रोफाइल पूरी तरह बदल जाएगा। सेना नेतृत्व करने वाले अधिकारियों की आयु कम करने पर काम कर रही है। इसमें कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल हैं। 
(नई दिल्ली से अजीत दुबे की रिपोर्ट)