आज से ठीक दो साल पहले यानी 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की थी। यह एक बहुत बड़ा कदम था। लेकिन जनता के अपने निर्वाचित प्रधानमंत्री का पूरा साथ दिया और शुरुआती झटकों के बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर आ गई। आईए आपको फिर से ले चलते हैं दो साल पीछे और याद दिलाते हैं उस ऐतिहासिक क्षण की-
तारीख- 8 नवंबर 2016
समय- शाम के 8 बजे
पूरे देश को जानकारी थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोई खास घोषणा करने वाले हैं। लगभग सभी भारतीय अपने टीवी सेटों और रेडियो से चिपककर पीएम मोदी का भाषण सुन रहे थे।
प्रधानमंत्री ने अपना भाषण शुरु किया। वह कालेधन की समस्या पर बोल रहे थे। सभी लोग आश्वस्त हो गए कि यह कोई सामान्य भाषण है।
लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री को भाषण देते हुए 14 मिनट और 32 सेकेंड बीते। अचानक उनका सुर बदला और आवाज आई-
“आज मध्य रात्रि यानी आठ नवंबर 2016 की रात्रि को बारह बजे से वर्तमान में जारी 500 रुपए और एक हजार रुपए के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे। ये मुद्राएं कानूनन अमान्य होगी। पांच सौ और एक हजार के पुराने नोटों के जरिए लेन देन की व्यवस्था आज मध्य रात्रि से उपलब्ध नहीं होगी”।
इस तीन लाइन की घोषणा ने जैसे सभी भारतीयों का जीवन बदल दिया। क्योंकि किसी को अंदाजा नहीं था कि प्रधानमंत्री इतना बड़ा कदम उठाएंगे।
इससे पहले जब बताया गया कि प्रधानमंत्री 8 नवंबर को पूरे राष्ट्र को संबोधित करेंगे तो माना जा रहा था कि पीएम मोदी कोई बड़ी घोषणा करने जा रहे हैं, लेकिन किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह घोषणा इतनी बड़ी होगी।
प्रधानमंत्री के इस बड़े ऐलान के बाद कुछ दिनों तक तो देश में अफरा-तफरी का माहौल रहा और बैंकों के बाहर लंबी कतारें लगी रहीं।
खुद प्रधानमंत्री की बुजुर्ग माताजी ने लाइन में लगकर नोट बदलवाए।
हालांकि, कुछ ही दिनों में 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए। सरकार ने ऐलान किया कि उसने देश में मौजूद काले धन और नकली मुद्रा की समस्या को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाया है।
देश में इससे पहले 16 जनवरी, 1978 को जनता पार्टी की गठबंधन सरकार ने भी बड़े नोटों के रुप में कालेधन की जमाखोरी की वजह से ही 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोटों का विमुद्रीकरण किया था।
विपक्ष ने पीएम मोदी के इस कदम की कड़ी आलोचना की थी और आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार देश को कई दशक पीछे ले गई, हालांकि धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई। जनता ने भी पीएम मोदी के फैसले में पूरा सहयोग किया था।
आज हम पूरे देश में लगातार तेजी से जिन विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा होते हुए देख रहे हैं, वह कहीं न कहीं नोटबंदी का ही नतीजा है।
हालांकि आरोप अब भी लग रहे हैं कि 2000 के नोटों के रुप में फिर से कालेधन की जमाखोरी हो रही है। लेकिन सभी कालेबाजारियों के मन में 8 नवंबर 2016 की यादें ताजा हैं। वह जानते हैं कि उसी तर्ज पर कभी भी नोटबंदी हो सकती है। जिसके बाद उनकी सारी काली कमाई एक बार फिर कागज के टुकड़ों में बदलकर रह जाएगी।
काले धनपतियों का यही भय देश की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए पर्याप्त है। यही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उद्देश्य भी था।
Last Updated Nov 8, 2018, 6:36 PM IST