नई दिल्ली। केरल में एक बार फिर बाढ़ की स्थिति भयानक बनी हुई है और राज्य में हर जगह पर इसके तबाही के मंजर देखे जा सकते हैं। पिछले साल बाढ़ में करीब बीस हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान था। लेकिन इस बार भी बाढ़ के हालात वैसे ही हैं।

पिछले साल भी सैकड़ों लोग बाढ़ के कारण मारे गए थे और इस बार भी इनकी संख्या रोज बढ़ रही है। लोगों की मदद के लिए एनडीआरएफ और सेना की मदद ली जा रही है और लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया गया है। लेकिन सबकी जुबां पर बाढ़ का कारण ही है। कुछ लोगों का कहना है कि ये राज्य में दैवीय आपदा के कारण है तो कुछ मौसम को इसका कारण बता रहे हैं।

केरल में बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए बड़े स्तर पर राहत और बचाव कार्य चल रहे हैं। लेकिन राज्य के हालत काफी खराब हैं। केरल में बारिश और बाढ़ से 45 लोगों की मौत हो चुकी है और एक लाख से अधिक लोगों को राहत कैंप में पहुंचाया गया है। राज्य के मल्लपुरम में अब तक 10 और वायनाड में 9 लोगों की मौत हुई है। वहीं मल्लपुरम में भूस्खलन के कारण 30 परिवार लापता हैं। जिसका अभी तक कहीं पता नहीं है। राज्य में कई ट्रेनों को रद्द किया गया है।

फिलहाल मौसम विभाग ने राज्य के लिए और भयावह चेतावनी दी है। मौसम विभाग का कहना है कि राज्य में 15 अगस्त के आसपास और तेज बारिश हो सकती है और जिसकी वजह से समुद्र में तेज लहरें उठेंगी। तेज हवाओं के कारण बारिश और तेज हो जाती है और इससे सीधे तौर पर घरों और पेड़ों को नुकसान होता है। ये दूसरा साल है जब राज्य को इस प्राकृतिक आपदा से जूझना पड़ रहा है।

जब राज्य में पिछले साल बाढ़ आई थी तो लोगों का कहना है कि राज्य में इस तरह की तबाही 94 साल पहले आई थी। लेकिन इस बार लगातार दूसरी बार राज्य में तबाही आई हुई है। पिछले साल की तरह भी इस बार राज्य के ज्यादातर हिस्से बारिश के कारण पानी में डूब हैं। पिछले साल राज्य का 80 फीसदी हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ था। राज्य में पिछले  इलाके बाढ़ 11 दिनों से लगातार बारिश हो रही है।

जल विशेषज्ञों के मुताबिक केरल में बाढ़ आने का सबसे बड़ा कारण बांधों का बेहतर प्रबंधन न होना है। क्योंकि जैसे ही तेज बारिश शुरू होती है ऊपरी हिस्सों से बांधों को खोल दिया जाता है। जिससे तेजी स पानी निचले हिस्सों में आ जाता है। लिहाजा निचले इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन के मामलों में तेजी आई है। पिछले साल ही जुलाई की बारिश में बांध 85 से 100 फीसदी तक भर गए थे और अगस्त में हुई तेज बारिश के कारण बांधों को खोलना पड़ा था। जिसके बाद ये निचले इलाके डूब गए। अगर इन बांधों को धीरे धीरे खोला जाता तो बाढ़ की स्थिति गंभीर न बनती।