दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के विभिन्न गुटों में अध्यक्ष बनने की कवायद शुरू हो गयी है. माकन ने दो दिन पहले ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया था. असल में कुछ दिनों से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित राज्य की राजनीति में सक्रिय हो रही हैं. लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस राज्य की कमान उन्हें देगी. लेकिन शीला को कमान देने के बाद बगावत होनी तय है. लिहाजा कांग्रेस राज्य में एक प्रदेश अध्यक्ष के साथ तीन कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर गुटबाजी थामने का कोशिश कर सकती है.

अजय माकन के इस्तीफा देने के बाद ये तय हो गया कि किसी नए अनुभवी नेता को ही दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा. ये भी तय है कि जिसे कांग्रेस आलाकमान का आर्शीवाद मिलेगा उसे ही दिल्ली की कमान सौंपी जाएगी. ऐसे में सबसे पहले शीला दीक्षित का नाम सामने आता है. शीला ने राज्य में 15 साल तक सरकार चलाई है औ उनकी कांग्रेस आलाकमान से अच्छे रिश्ते भी हैं. ऐसे में शीला को प्रदेश की कमान सौंपे जाने की पूरी उम्मीद की जा रही है.

हालांकि माकन ने अपनी सेहत का हवाला देकर कांग्रेस अध्यक्ष को इस्तीफा दिया था. लेकिन इसके पीछे शीला के सक्रिय होने को बड़ा कारण बताया जा रहा है. शीला आगामी लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन करने के पक्ष में है. जबकि माकन आप के धुर विरोधी हैं. चुके थे, लेकिन शुक्रवार को उनका इस्तीफा मंजूर होने के बाद नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गयी है. इसके लिए नेताओं ने अपनी अपनी लॉबिंग शुरू कर दी है.

राजनैतिक जानकारों का मानना है कि राज्य में नेताओं के बीच बगावत रोकने के लिए एक अध्यक्ष और तीन या चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर जातीय समीकरणों को साधा जा सकता है. क्योंकि दिल्ली में कई जाति वर्ग के लोग काफी प्रभावशाली हैं. जैसे पंजाब, भोजपुरी और जाट. लिहाजा जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इन वर्गों से नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है.