उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश के हर कोने को ताज एक्सप्रेस वे की तर्ज पर जोड़ने की तैयारी कर ली है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इन सड़क परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण का काम 96 फीसदी तक पूरा किया जा चुका है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की एक्स्प्रेस वे अथॉरिटी के सीईओ अवनीश अवस्थी को 15 जून तक परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के काम को पूरा करने का निर्देश जारी कर दिया है।

उत्तर प्रदेश की चुनावी सियासत में सड़क परियोजनाओं का अहम किरदार रहा है। 2017 के विधानसभा चुनावों में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा-लखनई ताज एक्सप्रेस वे के सहारे चुनावों में बाजी मारने की कवायद की थी। वहीं 2007 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने यमुना एक्सप्रेस वे के सहारे चुनावी बाजी अपने पक्ष में करने की कवायद की थी। 

अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपने कार्यकाल के दौरान लखनऊ से गाजीपुर तक 341 किलोमीटर की एक्सप्रेस वे परियोजना के सहारे अपनी सियासी गणित को पुख्ता करने के तैयारी में हैं। खास बात है कि लखनऊ से गाजीपुर की यह एक्सप्रेस वे अमेठी, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, फैजाबाद, आजमगढ़ और मऊ को जोड़ने का काम करेगी।

राज्य की एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के प्रमुख अवनीश अवस्थी के मुताबिक इस परियोजना को ट्रैफिक के लिए अगस्त 2020 में खोलने का लक्ष्य है। वहीं इसी परियोजना में 89 किलोमीटर का लिंक रोड  तैयार करते हुए इसे एक्सप्रेस वे को गोरखपुर से जोड़ने का काम शुरू किया जा रहा है। अवस्थी के मुताबिक राज्य सरकार जल्द इस चरण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने जा रही है।

इसके अलावा अन्य एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट के तहत योगी सरकार राज्य के पिछड़े बुंदेलखंड इलाके इलाके को भी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे से जोड़ने की पहल कर रही है। इस पहल से बांदा, हमीरपुर और जालौन को इटावा के निकट ताज एक्सप्रेस वे से जोड़ने का काम किया जाएगा।

इसके अलावा योगी सरकार ने जनवरी 2019 में गंगा एक्सप्रेस वे का ऐलान किया था जिसके तहत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने का काम किया जाएगा। इस 600 किलोमीटर एक्सप्रेस वे परियोजना के तहत ज्योतिबा फूले नगर, संभल, बदायूं, फरुखाबाद, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ को लिंक करने का है।

इन सभी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने  2021 के अंत तक का लक्ष्य रखा है जिससे 2022 में होने वाले चुनावों में योगी सरकार पूरे राज्य को एक्सप्रेस वे से लिंक करने का श्रेय ले सकें और सत्ता में बरकरार रहें।