मन्त्र कुछ विशेष अक्षरों व शब्दों के संयोग का नाम है जिससे कुछ विशिष्ट ध्वनि तरंगें उतपन्न होती हैं। वैसे तो प्रत्येक शब्द के उच्चारण का अपना प्रभाव पड़ता है किंतु मन्त्रों का अलग व निराला प्रभाव है। कहा भी गया है " मननात त्रायते इति मन्त्रः " अर्थात ऐसे शब्द अथवा शब्द समूह जिनके उच्चारण व मनन करने से मनुष्य तर जाता है।

मन्त्रो के उच्चारण से हमारे मस्तिष्क में अल्फा(Alfa) तरंगे पैदा होती हैं जो हमारे मस्तिष्क को शांत करता है , जिस प्रकार एक वाद्ययंत्र पर छेड़ी मधुर स्वर लहरी से समस्त श्रोता शांत व प्रसन्न हो जाते हैं।

मन्त्र का बार बार आवर्तन से मन्त्र और चेतना दोनो के बीच घार्षनिक क्रिया उतपन्न होती है, जिससे मन्त्र की धार तीक्ष्ण होने लगती है और चेतना के चारो ओर कम्पन्न पैदा होने लगते हैं। मन्त्रो की तरंगों के द्वारा शामक विद्युतीय तरंगे उत्तपन्न होती हैं और ये तरंगे हमारी अंतःस्रावी ग्रंथियों का शोधन करती है जिससे हमारी भावनाएं, चिंतन व आचरण में परिष्कार आने लगता है। क्योंकि मन्त्रो के उच्चारण से इन ग्रंथियों से रसायन स्रावित होने लगते है जो हमारे भावों को शुद्ध करते चले जाते हैं ।

यही नहीं इसका उच्चारण हमारे प्रतिरक्षा तंत्र (psychonuro immunology system) को भी दृढ़ बनाता है । क्योंकि प्रतिरक्षा तंत्र में मस्तिष्क से आने वाले संकेतों को पढ़ने की क्षमता होती है और वे उसी प्रकार कार्य करना प्रारंभ कर देते हैं जिस प्रकार के उन्हें positive संकेत प्राप्त होते रहते हैं।

मन्त्र जाप की दूसरी निष्पत्ति है- मन की संतुष्टि। यहाँ सिर्फ जाप होता है किसी भौतिक पदार्थ की कामना नहीं होती । साधक उस जाप में लीन तल्लीन हो जाता है और उसके आनंद में मग्न हो जाता है जिससे उसका मन तृप्त होने लगता है , यही उसे एक संतुष्टि प्रदान करती है।

अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ हावर्ड स्टिंगुल ने अपने परीक्षण के दौरान यह पाया है कि गायत्री मंत्र के सस्वर उच्चारण से एक सेकेंड में 1,00,000 तरंगे उत्पन्न होती है जिससे व्यक्ति तनाव मुक्त हो जाता है। अतः मन्त्र हमारे तनाव को भी दूर करते हैं।

रिसर्च एंड इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर जे मॉर्गन ने 'ओउम' के उच्चारण का 2500 व्यक्तियों पर कई वर्ष तक परीक्षण किया और पाया कि इन अभ्यासों से वे अनेक बीमारियों से मुक्त हो चुके थे। उन्होंने यह भी पाया कि ओउम की ध्वनि की तरंगों से पैदा होने वाली कम्पन्न क्रिया से मृत कोशिकाओं का भी निर्माण होता है।

इसके अतिरिक्त हमारी बौद्धिक शक्तियों का विकास , हमारी स्मृति का विकास, चेतना का उर्ध्वरोहन आदि अनेक मानसिक लाभ भी होते हैं।अतः मन्त्र जाप के सिर्फ शारीरिक लाभ ही नहीं होते परन्तु उसके मानसिक व आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं।