उत्तर प्रदेश में विपक्ष की एकजुटता ने भाजपा समर्थकों को भी सजग किया है। यही स्थिति दक्षिण के राज्य कर्नाटक में भी थी। पश्चिम बंगाल में तृणमूल के नेता-कार्यकर्ता इतने परेशान क्यों हैं? चुनाव में चुनौती नहीं होती तो वे इस तरह हिंसा पर उतारु नहीं होते। उड़ीसा में भी भाजपा ज्यादातर सीटों पर बीजद से सीधे मुकाबले में हैं। महाराष्ट्र में शरद पवार के गढ़ बारामती तक में उनकी बेटी सुप्रिया सुले को भारी चुनौती मिली। चुनाव के दौरान भाजपा एवं शिवसेना के नेताओं-कार्यकर्ताओं में अद्भुत एकता दिखी है। चुनाव की ये सारी प्रवृत्तियां किस ओर इशारा कर रही हैं?