असल में हुड्डा को भी लग रहा है पार्टी से किनारा कर उनका राज्य में राजनैतिक वजूद उस तरह का नहीं होगा। जैसा कांग्रेस में रहकर उनका राजनैतिक कद बना है। लिहाजा हुड्डा अभी बैकफुट पर आ गए हैं। हुड्डा ने 18 अगस्त को रोहतक की रैली में एक कमेटी का गठन किया था जिसको ये अधिकार दिया गया था कि वह हुड्डा को लेकर ये फैसला करे कि उन्हें कांग्रेस में रहना चाहिए या फिर अपनी पार्टी बनानी चाहिए।