कथित रुप से सैन्य अधिकारियों द्वारा जारी पत्र पर जिनके नाम हैं उनमें से किसी ने नहीं कहा कि हमने आपस में बैठकर यह फैसला किया। पत्र पर तूफान खड़ा हो ही रहा था कि कुछ लोग यह कहते हुए सामने आ गए कि पत्र में मेरा नाम बिना मेरे से पूछा लिखा गया है। हमें जब पता ही नहीं कि ऐसा कोई पत्र लिखा गया है तो उस पर हस्ताक्षर करने का प्रश्न कहां से पैदा होता है।