दिल में कुछ करने की लगन हो तो कोई भी मुसीबत रास्ते में रुकावट नहीं बन सकती, देवरिया की रचना गुप्ता ने ठान लिया था की उन्हें अपने पिता के परिश्रम का फल पढ़ाई में टॉप करके देना है, और जब दीक्षांत समरोह में रचना को सर्वाधिक 9 गोल्ड मेडल मिले तो माँ बाप की आँखों से आंसू छलक पड़े।