यूरोपीय संसद में पांच राजनीतिक समूहों द्वारा एक संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम भेदभावपूर्ण और खतरनाक रूप से विभाजनकारी है। यह कानून के समक्ष समानता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को कमजोर करता है। प्रस्ताव में यह भी जोर देकर कहा गया कि एनआरसी से धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा और भेदभाव बढ़ेगा।