प्रियंका वाड्रा अगर वाराणसी से चुनाव मैदान में उतरतीं तो उनकी पराजय निश्चित थी। लेकिन अगर वह पीएम मोदी को ठीक चुनौती भी नहीं दे पाती तो इसका संदेश बहुत बुरा जाता। उनके पहले ही चुनाव में पराजय का दंश लेना उनके एवं कांग्रेस के लिए ऐसा आघात होता जिससे उबरना कठिन हो जाता। कांग्रेस अपने इतने बड़े तुरुप के पत्ते की छवि बुझे हुए कारतूस जैसी बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती थी।