राजनीतिक विरासत को लेकर अक्सर यही माना जाता है कि बेटा पिता के नक्शेकदम पर चलकर सार्वजनिक जीवन में बड़ी सफलता हासिल करेगा, लेकिन इस बार के आम चुनाव में यह गलत साबित हुआ। मशहूर सियासी लोगों के बेटों को 17वीं लोकसभा के चुनाव में पराजय का कड़वा स्वाद चखना पड़ा।