राजनीति में न कोई स्थायी दोस्त होता है न ही स्थायी दुश्मन लेकिन फिर भी सुदृढ़ और मौकापरस्त राजनीति में फर्क जरूर होता है| उत्तर प्रदेश शुरुआत से ही राजनीति का गढ़ रहा है और हो भी क्यों न लोकसभा की 80 सीट अकेले उत्तर प्रदेश में ही है। इसीलिए सभी पार्टियों के लिए यहाँ जीत के लिए स्वाभाविक रुप से जोर लगा रही है। ऐसे में प्रदेश की उन दो पार्टियों का "साथी" बन जाना जो कभी एक दूसरे को फूटी आंख भी नहीं सुहाते थे, बहुत आश्चर्यजनक है।