फतवे में मुस्लिम समुदाय को निर्देश दिया गया है कि वह पीड़िता को न तो दवाइंया दे। न ही कोई उसकी मौत के बाद नमाज-ए-जनाजा पढ़ा जाए। यहां तक कि उसे मुस्लिम के कब्रिस्तान में दफनाने तक की मनाही है। सुप्रीम कोर्ट किसी व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी करने को पहले ही अवैध घोषित कर चुका है।