असल में राज्य में लोकसभा का चुनाव प्रियंका के नेतृत्व में ही लड़ा गया था। हालांकि पार्टी ने परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया था। लेकिन प्रचार का जिम्मा केवल प्रियंका के ऊपर ही थी। यहां तक कि अमेठी और रायबरेली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी महज अपने नामांकन के दौरान ही दिखे।