जात-पात तोड़क मण्डल में दिये गये अपने प्रसिद्ध भाषण में डॉ.अम्बेडकर ने सुझाव दिया था कि हिंदुओं को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों पर आधारित समाज के निर्माण के लिए अपने शास्त्रों से बाहर कहीं से प्रेरणा लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्हें इन मूल्यों के लिए उपनिषदों का अध्ययन करना चाहिए। जिसके बाद मैंने बाद में यह कोशिश की कि पता करूं कि क्या उन्होंने बाद में इस विषय पर कहीं लिखा है। लेकिन उनके कुछ भाषणों को छोड़कर इसका जिक्र कहीं नहीं मिला ।