असल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और सांसद असुद्दीन ओवैसी ने ही सुप्रीम का फैसला आने के बाद साफ कर दिया था कि वह मस्जिद के लिए किसी खैरात की जमीन को नहीं लेंगे। ओवैसी ने कहा कि ये फैसला एक तरफा दिया गया है। हालांकि बोर्ड के अध्यक्ष ने साफ किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आदर करते हैं और बोर्ड किसी भी रिव्यू पिटिशन के पक्ष में नहीं है।