जब पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था तो पाकिस्तान को एक कौमी तराने की जरूरत थी। ताकि देश को एक तराने के जरिए बांधा जा सके। इसके लिए जिन्ना ने जगन्नाथ आज़ाद से संपर्क किया। वह भी बड़े चकित थे कि एक कट्टर सोच रखने वाला मुस्लिम नेता कैसे एक हिंदू से कौमी तराना लिखा सकता है। लेकिन जिन्ना को ये लगा कि इसके जरिए वह अपने सेकुलर छवि पूरे विश्व में भुना सकते हैं। लेकिन जिन्ना की मौत के बाद उनका लिखा तराना बदल दिया गया।